"भक्ति काल": अवतरणों में अंतर

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== प्रेमाश्रयी शाखा ==
[[मुसलमान्दमुसलमान]] [[सूफी]] कवियों की इस समय की काव्य-धारा को प्रेममार्गी माना गया है क्योंकि प्रेम से ईश्वर प्राप्त होते हैं ऐसी उनकी मान्यता थी। ईश्वर की तरह प्रेम भी सर्वव्यापी तत्व है और ईश्वर का जीव के साथ प्रेम का ही संबंध हो सकता है, यह उनकी रचनाओं का मूल तत्व है। उन्होंने प्रेमगाथाएं लिखी हैं। ये प्रेमगाथाएं [[फारसी]] की मसनवियों की शैली पर रची गई हैं। इन गाथाओं की भाषा [[अवधी]] है और इनमें [[दोहा]]-[[चौपाई]] छंदों का प्रयोग हुआ है। मुसलमान होते हुए भी उन्होंने हिंदू-जीवन से संबंधित कथाएं लिखी हैं। खंडन-मंडन में न पड़कर इन फकीर कवियों ने भौतिक प्रेम के माध्यम से ईश्वरीय प्रेम का वर्णन किया है। ईश्वर को माशूक माना गया है और प्रायः प्रत्येक गाथा में कोई राजकुमार किसी राजकुमारी को प्राप्त करने के लिए नानाविध कष्टों का सामना करता है, विविध कसौटियों से पार होता है और तब जाकर माशूक को प्राप्त कर सकता है। इन कवियों में [[मलिक मुहम्मद जायसी]] प्रमुख हैं। आपका '[[पद्मावत]]' महाकाव्य इस शैली की सर्वश्रेष्ठ रचना है। अन्य कवियों में प्रमुख हैं - [[मंझन]], [[कुतुबन]] और [[उसमान]]।
 
== इन्हें भी देखें ==