"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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देश में बढ़ते दबाव को देख आम्बेडकर 24 सितम्बर 1932 को शाम पांच बजे येरवडा जेल पहुंचे। यहां गांधी और आम्बेडकर के बीच समझौता हुआ, जो बाद में [[पूना पैक्ट]] के नाम से जाना गया। इस समझौते मे आम्बेडकर ने दलितों को कम्यूनल अवॉर्ड में मिले पृथक निर्वाचन के अधिकार को छोड़ने की घोषणा की। लेकिन इसके साथ हीं कम्युनल अवार्ड से मिली 78 आरक्षित सीटों की बजाय पूना पैक्ट में आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ा कर 148 करवा ली। इसके साथ ही अछूत लोगो के लिए प्रत्येक प्रांत मे शिक्षा अनुदान मे पर्याप्त राशि नियत करवाईं और सरकारी नौकरियों से बिना किसी भेदभाव के दलित वर्ग के लोगों की भर्ती को सुनिश्चित किया और इस तरह से आम्बेडकर ने महात्मा गांधी की जान बचाई। आम्बेडकर इस समझौते से असमाधानी थे, उन्होंने गाँधी के इस अनशन को अछूतों को उनके राजनीतिक अधिकारों से वंचित करने और उन्हें उनकी माँग से पीछे हटने के लिये दवाब डालने के लिये गांधी द्वारा खेला गया एक नाटक करार दिया। 1942 में आम्बेडकर ने इस समझौते का धिक्कार किया, ‘''स्टेट ऑफ मायनॉरिटी''’ इस ग्रंथ में भी पूना पैक्ट संबंधी नाराजगी व्यक्त की हैं। [[भारतीय रिपब्लिकन पार्टी]] द्वारा भी इससे पहले कई बार धिक्कार सभाएँ हुई हैं।<ref>{{Cite web|url=http://www.lokmat.com/gadchiroli/it-was-dabkare-who-had-done-punes-contract-babasaheb/|title=पुणे कराराचा बाबासाहेबांनीच केला होता धिक्कार|date=25 सित॰ 2015|website=Lokmat|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref>
 
==व्यक्तिगत जीवन==
[[File:Rajagriha, Bombay, February 1934. (L to R) Yashwant, BR Ambedkar, Ramabai, Laxmibai, Mukundrao, and Tobby.jpg|thumb|right|300px|फरवरी 1934 में मुम्बई के अपने घर [[राजगृह, घर|राजगृह]] में अपने परिवार के सदस्यों के साथ आम्बेडकर। बाएं से - यशवंत (बेटे), डॉ॰ आम्बेडकर, रमाबाई (पत्नी), लक्ष्मीबाई (उनके बड़े भाई बलराम की पत्नी), मुकुंद (भतीजे) और आम्बेडकर का पसंदीदा कुत्ता, टोबी।]]
 
आम्बेडकर के दादा नाम मालोजी सकपाल था, तथा का पिता नाम रामजी सपकाल और माता का नाम भीमाबाई थी। 1906 में आम्बेडकर जब पाँच वर्ष के थे तब उनकी माँ की मृत्यू हुई थी। इसलिए उन्हें बुआ मीराबाई संभाला था, जो उनके पिता की बडी बहन थी। मीराबाई के कहने पर रामजी ने जीजाबाई से पुनर्विवाह कर दिया, ताकि बालक भीमराव को माँ का प्यार मिल सके। [[प्रकाश आम्बेडकर|प्रकाश]], [[आनंदराज आंबेडकर|आनंदराज]] तथा भीमराव यह तिनों यशवंत आम्बेडकर के पुत्र हैं।
 
आम्बेडकर जब पाँचवी अंग्रेजी कक्षा पढ रहे थे, तब उनकी शादी [[रमाबाई आम्बेडकर| रमाबाई]] से हुई। रमाबाई और भीमराव को पाँच बच्चे भी हुए - जिनमें चार पुत्र: यशवंत, रमेश, गंगाधर, राजरत्न और एक पुत्री: इन्दु थी। किंतु 'यशवंत' को छोड़कर सभी संतानों की बचपन में ही मृत्यु हो गई थीं।
आम्बेडकर ने कहां है की, उनका जीवन तीन गुरुओं और तीन उपास्यों से बना है। उन्होंने जिन तीन महान व्यक्तियों को अपना [[गुरु]] माना जिसमे उनके पहले गुरु थे [[तथागत]] [[गौतम बुद्ध]], दूसरे थे [[संत]] [[कबीर]] और तीसरे गुरु थे [[महात्मा]] [[ज्योतिराव फुले]]। तथा उनके तीन उपास्य (देवता) थे — ज्ञान, स्वाभिमान और शील।<ref>{{Cite web|url=https://hindi.news18.com/news/nation/important-facts-about-baba-sahib-bheem-rao-ambedkar-1188525.html|title=जाने कैसे बाबा साहेब ने बुद्ध के तीन सूत्रों को लोकप्रिय नारों में बदल दिया– News18 हिंदी|date=6 दिस॰ 2017|website=News18 India|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref><ref>{{Cite web|url=http://www.jansatta.com/sunday-column/ambedkar-statue-at-sppu-univ-shows-new-clay-model-to-critics-before-casting-bronze/90463/|title=दलित विमर्शः फुले-आंबेडकर की विरासत|date=1 मई 2016|website=Jansatta|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://www.nationalindianews.in/dr-br-ambedkar/|title=मेरा जीवन तीन गुरुओं और तीन उपास्यों से बना है- बाबासाहब डॉ बीआर अम्बेडकर|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref><ref>{{Cite web|url=http://sainimali.com/jyotibaPhule.aspx|title=Jyotiba Phule|website=sainimali.com|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref>
 
==राजनीतिक जीवन==