"चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना": अवतरणों में अंतर

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[[File:Chausath Yogini Temple, the platform.JPG|right|thumb|300px|गुर्जर प्रतिहार कालिन मुरैना का चौसठ योगिनी मांदिर ; यह मंदिर भी अन्य चौसठ योगिनी ममदिरों की भाँति वृत्ताकार आधार पर निर्मित है।]]
'''मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर''' [[मध्य प्रदेश]] के [[मुरैना जिला|मुरैना जिले]] में [[मितावली]] नामक गांव की एक पहाडी परजगह स्थित एक प्राचीन [[मंदिर]] है। यह [[भारत]] के उन चौसठ योगिनी मंदिरों में से एक है जो अभी भी अच्छी दशा में बचे हैं। यह मंदिर एक वृत्तीय आधार पर निर्मित है और इसमें ६४ कक्ष हैं। मध्य में एक खुला हुआ मण्डप है। यह मंदिर १३२३ ई में बना था। ऐसा माना जाता है कि भारत का [[संसद भवन]] (जो १९२० में बना), इसी शैली पर निर्मित है।
यह मंदिर 9वीं सदी मे [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश|गुर्जर प्रतिहार वंश]] के 10वें शासक '''सम्राट देवपाल गुर्जर''' ने बनवाया था। इस मंदिर मे 101 खंबे और 64 कमरों मे एक एक शिवलिंग है परिसर के बीचों-बीच एक बड़ा गोलाकार शिव मंदिर भी है। मुख्य मंदिर में 101 खंभे कतारबद्ध खड़े हैं, जो संसद भवन के गलियारे की याद दिलाते हैं। मंदिर के निर्माण में लाल-भूरे बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है। माना जाता है की कमरे मे शिवलिंग के साथ देवी योगिनी की मूर्ति भी रही होगी पर यह योगिनियाँ अब दिल्ली संग्रहालय व ग्वालियर किले के संग्रहालय में सुरक्षित है। <ref>हिन्दू वास्तुकला का विश्वकोश, प्रसन्ना कुमार</ref> इसी आधार पर इसका नाम चौसठ योगिनी पडा है। सबसे बड़ी बात यह है ब्रिटिश वास्तुविद सर एडविन लुटियंस का बनाया गया भारत का संसद भवन भी इसी चौसठ योगिनी मंदिर के आकृति का है। लुटियंस ने संसद भवन का डिजाइन इस गुर्जर प्रतिहार के मंदिर से चुराया था।
 
[[भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण]] ने इस मंदिर को प्राचीन ऐतिहसिक स्मारक घोषित किया है।
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[[श्रेणी:भारत के प्राचीन स्मारक]]
[[श्रेणी:मध्य प्रदेश के हिन्दू मंदिर]]
 
== यह भी देखें ==
[[बटेश्वर हिन्दू मंदिर, मध्य प्रदेश|बटेश्वर हिन्दू मंदिर]]