"आपेक्षिकता सिद्धांत": अवतरणों में अंतर

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*(३) सामान्य आपेक्षिकता सिद्धांत की तीसरी परीक्षा गुरुत्वाकर्षणीय क्षेत्र के कारण वर्ण-क्रम-रेखाओं (स्पेक्ट्रॉस्कोपिक लाइंस) का स्थानांतरण है। इस वाद के अनुसार जो तारे तीव्र गुरुत्वीय क्षेत्र में हैं उनके किसी विशेष तत्व के परमाणुओं से निकले प्रकाश का [[तरंगदैर्घ्य]] पृथ्वी के उसी तत्व के परमाणुओं के प्रकाश-तरंग-दैर्घ्य से अधिक होगा। अत: तारे के किसी एक तत्व के प्रकाश के वर्णक्रम और प्रयोगशाला में प्राप्त उसी तत्व के वर्णक्रम की तुलना से तरंगदैर्घ्य के परिवर्तन का मापन हो सकता है। अनेक निरीक्षणों के फल सामान्य आपेक्षिकता सिद्धांत के अनुरूप हैं, यद्यपि कुछ प्रेक्षकों ([[फ्ऱाएँडलिख़]] आदि) के अनुसार सब फल सामान्य आपेक्षिकता सिद्धांत के अनुरूप नहीं हैं।
 
==विशिष्ट आपेक्षिकता के अन्तर्गत होने वाले संघट्त==
आइंस्टीन के सापेक्षिकता सिद्धांत ने भौतिकी के नए नियमों को नए सिरे से परिभाषित किया तथा न्यूटन के यांत्रिकी नियमों पर आधारित कई समीकरणों को बदलना पड़ा. न्यूटन के समीकरण कम गति वाले वस्तुओं की तो व्याख्या आज भी सही ढंग से कर रहे हैं जहाँ सापेक्षिकता प्रभाव नगण्य होता है परन्तु जब वेग प्रकाश के वेग से तुलनीय हो जाता है तब आइंस्टीन के सिद्धांत से ही गति की सही व्याख्या हो सकती है. दो वस्तुओं के बीच के टक्कर और तदोपरान्त दोनों वस्तुओं की चाल की सन्निकट व्याख्या भी न्यूटन के नियम से तभी हो सकती है जब टक्कर के पूर्व वस्तुओं की चाल प्रकाश के वेग की तुलना में नगण्य हो. यदि वस्तुओं का वेग प्रकाश के वेग से तुलनीय हो तो ऐसे टक्कर को '''सापेक्षिक टक्कर''' (रीलेटिविस्टिक कोलिजन ) कहते हैं.
 
सापेक्षिक टक्कर में रेखीय संवेग एवं ऊर्जा दोनों ही संरक्षित रहते हैं. यहाँ ध्यान देने वाली बात है की यहाँ ऊर्जा से तात्पर्य कुल ऊर्जा से है जिसका अभिप्राय है की टक्कर के पूर्व की कुल ऊर्जा टक्कर के बाद की कुल ऊर्जा के बराबर होगी.
 
'''रेखीय संवेग का संरक्षण'''
 
यदि दो वस्तुएं जिनका टक्कर पूर्व वेग u तथा U हो और विराम द्रव्यमान mo तथा Mo हो तो उस स्थिति में टक्कर के पूर्व का कुल रेखीय संवेग होगा
 
<nowiki>-----------------------------------</nowiki>1
 
जहाँ एवं क्रमशः तथा हैं
 
तथा c प्रकाश का निर्वात में वेग है
 
उसी प्रकार,यदि दोनों वस्तुओं का टक्कर के पश्चात् वेग v तथा V हो जाये उस स्थिति में टक्कर के पश्चात का कुल रेखीय संवेग होगा
 
<nowiki>------------------------------------</nowiki>2
 
जहाँ एवं क्रमशः तथा हैं.
 
तो रेखीय संवेग के संरक्षण के नियमानुसार p1 =p2
 
यानि
 
= -------------------------3
 
'''कुल ऊर्जा का संरक्षण'''
 
टक्कर के पूर्व की कुल ऊर्जा
 
U<sub>1</sub> = = + ---------------------------4
 
जहाँ m तथा M वस्तुओं के सापेक्षिक द्रव्यमान हैं
 
टक्कर के पश्चात की कुल ऊर्जा
 
U2 = + ---------------------------5
 
तो कुल ऊर्जा के संरक्षण के नियमानुसार U1 =U2
 
यानि
 
+ = + -----------6
 
अतः समीकरण ---5 तथा ----6 से दोनों अज्ञात राशियां v तथा V प्राप्त की जा सकती हैं. वस्तुओं का विराम द्रव्यमान तथा टक्कर के पूर्व का वेग पहले से ज्ञात है. ध्यान देने की बात है की सापेक्षिकता सिद्धांत से वस्तुओं की गति पूर्णतः निर्धारित हो जाती है जबकि न्यूटन की यांत्रिकी से चलें तो गति पूर्णतः निर्धारित नहीं हो सकती क्यूंकि टक्कर के बाद गतिज ऊर्जा संरक्षित नहीं भी रह सकती है
 
== इन्हें भी देखें ==