"चमोली जिला": अवतरणों में अंतर

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=== तपकुण्ड ===
अलखनंदा नदी के किनार पर ही तप कुंड स्थित कुंड है। इस कुंड का पानी काफी गर्म है। इस मंदिर में प्रवेश करने से पहले इस गर्म पानी में स्नान करना जरूरी होता है। यह मंदिर प्रत्येक वर्ष अप्रैल-मई माह में खुलता है। सर्दियों के दौरान यह नवम्बर के तीसर सप्ताह में बंद रहता है। इसके साथ ही बद्रीनाथ में चार बद्री भी है जिसे सम्मिलित रूप से पंच बद्री के नाम से जाना जाता है। यह अन्य चार बद्री- योग ध्यान बद्री, भविष्य बद्री, आदि बद्री और वृद्धा बद्री है।
 
<ref>श्री लोकपाल लक्ष्मण मंदिर</ref>
 
<ref name="">लोकपाल झील को पूरे ब्रह्मांड के लोग वैदिक तीर्थस्थल के रूप में जानते हैं। यह समुद्र तल से 4329 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह तीर्थ स्थल उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है। लोकपाल झील में हाथी पर्वत और सप्तऋषि चोटियों से शुद्ध जल आता रहता है। हिमगंगा के नाम से जानी जाने वाली एक एक पवित्र नदी इस विशाल झील से निकलती है। लोकपाल सरोवर हाथी पर्वत और सप्तऋषि पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है।
 
भगवान श्री राम जी के छोटे भाई भगवान श्री लक्ष्मण को रावण के पुत्र मेघनाथ के साथ युद्ध में बुरी तरह घायल होने के बाद भगवान लक्ष्मण को लोकपाल सरोवर के तट पर लाया गया था। भगवान श्री लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला ने रोते हुए प्रार्थना की कि उनके पति को बचा लिया जाए। भगवान श्री हनुमान जी तब वैद्य सुषेन के मार्गदर्शन में "संजीवनी" जड़ी-बूटी खोज कर लाए थे। लक्ष्मण को जड़ी बूटी "संजीवनी" से उपचार करने पर वह पुनर्जीवित हो गए । तब , देवताओं ने स्वर्ग से फूलों की वर्षा की, जो पृथ्वी पर गिर गए और फूलों की घाटी बन गयी ।
 
भगवान श्री लक्ष्मण ने शेषनाग के रूप में पूर्व अवतार में रूप में "लोकपाल" सरोवर में पानी के नीचे तपस्या की थी और भगवान विष्णु उनकी पीठ पर सो गए। श्री विष्णु जी का नाम ही "लोकपाल" है, जो कि संपूर्ण ब्रह्मांड में जीवित चर अचर, जलचर, थलचर एवं नभचर प्राणियों का पालन करते हैं।
 
लोकपाल झील (विष्णु सरोवर) की यात्रा करने वाले सभी लोग सरोवर की पवित्रता को हमेशा बनाये रखते हैं। पानी की पवित्रता और इसके वातावरण की रक्षा के लिए खड़ी चढ़ाई नंगे पैर, केवल सफेद सूती धोती पहनकर चढ़ते हैं। अपने कपड़ों और जूतों को बहुत पहले ही घाघरिया नामक स्थान पर छोड़ देते हैं। सभी लोग देवी के गीत गाते हुए रात बिताते हैं और भोर में वे लोकपाल झील (विष्णु सरोवर) को रवाना होते हैं। इस स्थान को घघारिया, या पेटीकोट के नाम पर घांघरिया के नाम से जाना जाता है.
 
जब तीर्थयात्री लोकपाल में पहुंचते हैं, तो वे सिक्के, नारियल, ब्रह्म कमल के फूल और मीठाई चढ़ाते हैं। वे अक्सर ठंडे पानी में स्नान करते हैं और भगवान श्री लक्ष्मण से पुत्र के आशीर्वाद के लिए लिए प्रार्थना करते थे। जिन माता पिता के कोई संतान नहीं होती है, लोकपाल में आते हैं और उनका विश्वास इतना मजबूत है कि वह अपनी कोहनी पर झील की परिक्रमा करते हैं। अगले वर्ष उनको एक पुत्र की प्राप्ति होती है ।
 
 
 
 
 
=== हेमकुंड साहिब ===