"उपपुराण": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
पंक्ति 45:
पूर्वोक्त प्राचीन तथा प्रसिद्ध उपपुराणों के अतिरिक्त उपपुराणों की दो और सूचियाँ मिलती हैं, जिन्हें अति पुराण एवं पुराण अथवा औप पुराण कहा गया है। अति पुराण के अंतर्गत सूची इस प्रकार है-- कार्तव, ऋजु, आदि, मुद्गल, पशुपति, गणेश, सौर, परानन्द, बृहद्धर्म, महाभागवत, देवी, कल्कि, भार्गव, वाशिष्ठ कौर्म, गर्ग, चण्डी और लक्ष्मी। पुराण अथवा औप पुराण के अन्तर्गत सूची इस प्रकार है-- बृहद्विष्णु, शिव उत्तरखण्ड, लघु बृहन्नारदीय, मार्कण्डेय, वह्नि, भविष्योत्तर, वराह, स्कन्द, वामन, बृहद्वामन, बृहन्मत्स्य, स्वल्पमत्स्य, लघुवैवर्त और ५ प्रकार के भविष्य।<ref>संक्षिप्त स्कन्दपुराणांक, गीताप्रेस गोरखपुर, संस्करण- संवत् २०५८, पृष्ठ-७,८.</ref>
इस सूची में 'महाभागवत' एवं 'देवी पुराण' के नाम अलग-अलग हैं जबकि ये दोनों नाम वस्तुतः एक ही पुराण के हैं। इनके अलावा अन्य नामों में जो नाम महापुराणों एवं पूर्वोक्त उपपुराणों से मिलते-जुलते हैं तथा भिन्न रूप में उपलब्ध भी नहीं हैं, उन्हें यदि छोड़ दिये जाएं तथा लगभग १००० ई॰ के आसपास रचित 'विष्णुधर्म' एवं 'एकाम्र पुराण' के नाम जोड़ दिये जाएं तो औप पुराणों की सूची इस प्रकार होगी :-
# बृहद्विष्णु
# विष्णुधर्म
# शिव उत्तरखण्ड (शिव धर्मोत्तर)
#भविष्योत्तर
Line 62 ⟶ 63:
# कार्तव
# ऋजु
# एकाम्र
==इन्हें भी देखें==
|