"उपपुराण": अवतरणों में अंतर

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=== पुराण नामधारी अन्य ग्रन्थ ===
पूर्वोक्त ग्रन्थों के अतिरिक्त भी 'पुराण' नामधारी अनेकानेक ग्रन्थों का प्रणयन बाद में भी होता रहा है। कुछ ग्रंथ तो आधुनिक संपादन का परिणाम है। उदाहरण स्वरूप विश्वकर्मा से संबंधित वर्णों को विभिन्न ग्रंथों से एकत्र कर विभिन्न संपादकों ने विश्वकर्मा पुराण नाम से निजी इच्छानुसार अध्यायों में विभाजित कर विभिन्न स्थानों से प्रकाशित करवाया है। श्रीमहाविश्वकर्मपुराण इससे भिन्न रचना है परंतु उसका नाम किसी प्राचीन साहित्य में नहीं आया है। विभिन्न संप्रदाय के लोगों ने अपने-अपने मत की पुष्टि के लिए पुराण नामधारी ग्रंथों की रचना कर डाली है। इनमें से अनेक प्रकाशित भी हैं। ऐसे प्रकाशित ग्रनाथों में दत्तपुराणम् (दत्तात्रेयपुराणम्), श्रीमहाविश्वकर्मपुराणम् , युगपुराणम् , वासुकिपुराणम् एवं नीलमतपुराणम् के नाम प्रमुख हैं। इन ग्रन्थों के नाम किसी प्राचीन सूची में नहीं मिलता है और इनके पौराणिक ग्रंथ होने पर भी संदेह व्यक्त किया गया है। 'नीलमतपुराणम्' के पुराण होने या न होने के सन्दर्भ में स्वयं इसके संपादक ने जोर देकर कहा है कि 'नीलमतम्' पुराणों की श्रेणी में नहीं आता है। (Strictly speaking, the Nilamatam does not come under the category of The Puranas.)
 
==इन्हें भी देखें==