"उपपुराण": अवतरणों में अंतर

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=== पुराण नामधारी अन्य ग्रन्थ ===
पूर्वोक्त ग्रन्थों के अतिरिक्त भी 'पुराण' नामधारी अनेकानेक ग्रन्थों का प्रणयन बाद में भी होता रहा है। कुछ ग्रंथ तो आधुनिक संपादन का परिणाम है। उदाहरणस्वरूप [[विश्वकर्मा]] से संबंधित वर्णोंवर्णनों को विभिन्न ग्रंथोंग्रन्थों से एकत्र कर विभिन्न संपादकों ने 'विश्वकर्मा पुराण' नाम से निजी इच्छानुसार अध्यायों में विभाजित कर विभिन्न स्थानों से प्रकाशित करवाया है।<ref>श्रीमहाविश्वकर्मपुराणम् (सानुवाद), संपादक- डॉ श्रीकृष्ण 'जुगनू', परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, प्रथम संस्करण-2015, पृष्ठ-xxix.</ref> 'श्रीमहाविश्वकर्मपुराण' इससे भिन्न रचना है, परन्तु उसका नाम किसी प्राचीन साहित्य में नहीं आया है। विभिन्न संप्रदाय के लोगों ने अपने-अपने मत की पुष्टि के लिए पुराण नामधारी ग्रंथों की रचना कर डाली है। इनमें से अनेक प्रकाशित भी हैं। ऐसे प्रकाशित ग्रन्थों में प्रमुख हैं :
* दत्तपुराणम् (दत्तात्रेयपुराणम्)
* श्रीमहाविश्वकर्मपुराणम्