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[[चित्र:Kuvempu.jpg|right|thumb| राष्ट्रकवि [[कुवेंपु]], २०वीं शताब्दी के कन्नड़ साहित्य के प्रतिष्ठित कवि]]
 
[[कुवेंपु]], प्रसिद्ध कन्नड़ कवि एवं लेखक थे, जिन्होंने [[जय भारत जननीय तनुजते]] लिखा था, जिसे अब राज्य का गीत (एन्थम) घोषित किया गया है।<ref name="anthem">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/2004/01/11/stories/2004011103410400.htm|title=पोयम डिक्लेयर्ड स्टेट सॉन्ग|work= ऑनलाइन वेबपेज ऑफ द हिन्दू |publisher=द हिन्दू |accessdate= १५ जुलाई २००७}}</ref> इन्हें प्रथम [[कर्नाटक रत्न]] सम्मान दिया गया था, जो कर्नाटक सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। अन्य समकालीन कन्नड़ साहित्य भी भारतीय साहित्य के प्रांगण में अपना प्रतिष्ठित स्थान बनाये हुए है। सात कन्नड़ लेखकों को भारत का सर्वोच्च साहित्य सम्मान [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] मिल चुका है, जो किसी भी भारतीय भाषा के लिये सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान होता है।<ref name="jnanpith">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/thehindu/mp/2002/10/31/stories/2002103100120200.htm|title=ग्लोबल थॉट्स इन द लोकल टंग |work=ऑनलाईन एडिशन, द हिन्दू: ३१ अक्टूबर २००२|author= एच एस व्यंकटेश, मूर्ति |accessdate= १ नवम्बर २००७}}</ref> टुलुतुलु भाषा मुख्यतः राज्य के तटीय जिलों [[उडुपी]] और [[दक्षिण कन्नड़]] में बोली जाती है। ''टुलुतुलु महाभरतो'', अरुणब्ज द्वारा इस भाषा में लिखा गया पुरातनतम उपलब्ध पाठ है।<ref name="tuluold">{{cite web|url=http://www.hindu.com/2004/11/13/stories/2004111302140500.htm|author= रवि प्रसाद कामिल |title= टुलु अकादमी येट टू रियलाइज़ इट्स गोल |work= द हिन्दू, ऑनलाईन वेबपेज: १३ नवम्बर २००४|accessdate= ५ मई २००७ |publisher=द हिन्दू}}</ref> टुलुतुलु लिपि के क्रमिक पतन के कारण टुलुतुलु भाषा अब कन्नड़ लिपि में ही लिखी जाती है, किन्तु कुछ शताब्दी पूर्व तक इस लिपि का प्रयोग होता रहा था। कोडव जाति के लोग, जो मुख्यतः [[कोडगु जिला|कोडगु जिले]] के निवासी हैं, '''कोडव टक्क''' बोलते हैं। इस भाषा की दो क्षेत्रीय बोलियां मिलती हैं: उत्तरी ''मेन्डले टक्क'' और दक्षिणी ''किग्गाति टक।''<ref name="takk">{{cite web|url=http://www.languageinindia.com/oct2001/kodavarajyashree.html|author=के एस राज्यश्री |title= कोदव स्पीच कम्युनिटी: एन एथनोलिंग्विस्टिक स्टडी |work= लैंग्वेज इण्डिया.कॉम |publisher= एम एस तिरुमलै |accessdate= ६ मई २००७}}</ref> [[कोंकणी]] मुख्यतः [[उत्तर कन्नड़]] जिले में और उडुपी एवं [[दक्षिण कन्नड़]] जिलों के कुछ समीपस्थ भागों में बोली जाती है। कोडव टक्क और कोंकणी, दोनों में ही कन्नड़ लिपि का प्रयोग किया जाता है। कई विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी है और अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियों तथा प्रौद्योगिकी-संबंधित कंपनियों तथा बीपीओ में अंग्रेज़ी का प्रयोग ही होता है।
 
राज्य की सभी भाषाओं को सरकारी एवं अर्ध-सरकारी संस्थाओं का संरक्षण प्राप्त है। ''कन्नड़ साहित्य परिषत'' एवं ''कन्नड़ साहित्य अकादमी'' कन्नड़ भाषा के उत्थान हेतु एवं कन्नड़ कोंकणी साहित्य अकादमी कोंकणी साहित्य के लिये कार्यरत है।<ref name="konkani">{{cite web|url=http://www.deccanherald.com/archives/sep162005/district1814202005915.asp|title= कोंकण प्रभा रिलीज़्ड |work= डेक्कन हेरल्ड, १६ सितंबर २००५|publisher=२००५, द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा. लि. |accessdate= ६ मई २००७}}</ref> ''टुलुतुलु साहित्य अकादमी'' एवं ''कोडव साहित्य अकादमी'' अपनी अपनी भाषाओं के विकास में कार्यशील हैं।
 
== शिक्षा ==