"प्रथम विश्व युद्ध": अवतरणों में अंतर

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*(२) उग्रवादियों, (जिनमें [[बाल गंगाधर तिलक|तिलक]] भी सम्मिलित थे) ने भी युद्ध में ब्रिटेन का समर्थन किया क्योंकि उन्हें आशा थी कि युद्ध के पश्चात ब्रिटेन भारत में स्वशासन के सम्बन्ध में ठोस कदम उठाएगा।
 
*(३) जबकि क्रांतिकारियों का मानना था कि यह युद्ध ब्रिटेन के विरुद्ध क्रांतिकारी गतिविधियों को संचालित करने का अच्छा अवसर है तथा उन्हें इस सुअवसर का लाभ उठाकर साम्राज्यवादी सत्ता को उखाड़ फेंकना चाहिए। (''[[हिंदु-जर्मन षडयंत्र|हिन्दू-जर्मन षडयन्त्र]]'' तथा ''[[ग़दर राज्य-क्रांति]]'' देखें)
 
इस युद्ध में [[भारतीय]] सिपाही सम्‍पूर्ण विश्‍व में अलग-अलग लड़ाईयों में लड़े। [[भारत]] ने युद्ध के प्रयासों में जनशक्ति और सामग्री दोनों रूप से भरपूर योगदान किया। भारत के सिपाही [[फ्रांस]] और [[बेल्जियम]] , [[एडीन]], [[अरब]], [[पूर्वी अफ्रीका]], [[गाली पोली]], [[मिस्र]], [[मेसोपेाटामिया]], [[फिलिस्‍तीन]], [[पर्सिया]] और [[सालोनिका]] में बल्कि पूरे विश्‍व में विभिन्‍न लड़ाई के मैदानों में बड़े पराक्रम के साथ लड़े। गढ़वाल राईफल्स रेजिमेण्ट के दो सिपाहियों को [[संयुक्त राज्य]] का उच्चतम पदक [[विक्टोरिया क्रॉस]] भी मिला था।
 
1915 के आरम्भ में भारतीय सैनिकों को पहले आराम दिया गया, लेकिन जल्द ही उनकी युद्ध में वापसी हुई। युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार ने 9200 भारतीय सैनिकों को वीरता पदकों से सम्मानित किया। सरकार ने इस विश्वयुद्ध में शहीद हुए 74 हजार भारतीय सैनिकों की याद में [[दिल्ली]] में 1921 में इंडिया गेट की आधारशिला रखी। यह 1931 में बनकर तैयार हुआ। इसमें 13,300 हजार से ज्यादा सैनिकों के नाम हैं।
 
इस युद्ध में भारत से 1.72 लाख जानवर भेजे गए। इनमें घोड़े, खच्चर, टट्टू, ऊंट, बैल और दूध देने वाले मवेशी शामिल थे। इनमें 8970 खच्चर और टट्टू ऐसे भी थे, जिन्हें बाहर से भारत लाकर प्रशिक्षित किया गया था और फिर युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में भेजा जाता था।
 
युद्ध के शुरुआती दौर में [[जर्मनी]] नहीं चाहता था कि भारत इसमें शामिल हो। युद्ध आरम्भ होने के पहले [[जर्मनी|जर्मनों]] ने पूरी कोशिश की थी कि [[भारत]] में [[ब्रिटेन]] के विरुद्ध आन्दोलन शुरू किया जा सके। बहुत से लोगों का विचार था कि यदि [[ब्रिटेन]] युद्ध में लग गया तो भारत के क्रान्तिकारी इस अवसर का लाभ उठाकर देश से अंग्रेजों को उखाड़ फेंकने में सफल हो जाएंगे।<ref>[https://aajtak.intoday.in/education/story/first-world-war-1914-the-australian-war-memorial-first-world-war-in-europe-104-years-know-fact-about-first-world-war-tedu-1-1018475.html 104 साल पहले शुरू हुआ था प्रथम विश्वयुद्ध, ऐसे हुआ खत्म]</ref> किन्तु इसके उल्टा [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के नेताओं का मत था स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए इस समय ब्रिटेन की सहायता की जानी चाहिए। और जब 4 अगस्त को युद्ध आरम्भ हुआ तो ब्रिटेन भारत के नेताओं को अपने पक्ष में कर लिया। [[देशी रियासत|रियासतों]] के राजाओं ने इस युद्ध में दिल खोलकर [[ब्रिटेन]] की आर्थिक और सैनिक सहायता की।