"सूर्यसिद्धान्त": अवतरणों में अंतर

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[[सौर घड़ी]] द्वारा [[समय मापन]] के शुद्ध तरीके अध्याय 3 और 13 में वर्णित हैं।
 
====ग्रहों की चाल ====
भगण
 
- 12 राशियो का एक भगण होता है ।
 
- 60 विकला की एक कला ।
 
- 60 कला का - 1 अंश ।
 
- 30 अंश को - 1 राशी ।
 
- शीघ्र्‍ गति वाले ग्रह अल्पकाल मे तथा मंद गतिवाले अधिक काल मे 27 नक्षत्र का भोग करते है ।
 
- अश्विनी नक्षत्र सें भ्रमण करते हुये रेवती नक्षत्र तक ग्रहो का भगण पुरा होता है ।
 
- पुर्वाभिमुख गमन करने वाले सुर्य-बुध और शुक्र और मंगल शनि और गुरू की भगण संख्या 4320000 होती है ।
 
- एक महायुग मे चंद्रमा कि भगण संख्या – 57753336,
 
- एक महायुग मे मंगल कि भगण संख्या – 2296832,
 
- एक महायुग मे बुध कि भगण संख्या – 17937060,
 
- एक महायुग मे गुरु कि भगण संख्या – 364220
 
- एक महायुग मे शुक्र कि भगण संख्या – 7022376
 
- एक महायुग मे शनि कि भगण संख्या – 146568
 
- चंद्र कि भगण संख्या – 488203
 
राहु-केतु कि विपरीत गति से भगणो कि – 232236
 
संख्या होती है ।
 
- एक महायुग मे नक्षत्रो कि भगण संख्या – 1582237828
 
होती है ।
 
- नाक्षत्र भगण मे से ग्रहो के अपने अपने भगण घटाने पर शेष्‍ ग्रहों के सावन दिन होते है
 
- एक महायुग मे सुर्य और चंद्रमा के भगणों के अंतर के
 
समान चांद्रमास होते है ।
 
- युग चांद्रमास से युग सुर्य मास घटाने पर अधीमास मिलता है ।
 
- एक महायुग में 1577917828 सावन दिन होते है ।
 
- 1603000080 तिथियाँ होती है ।
 
- 1593336 आधिमास होते है ।
 
- 25082252 क्षय दिन होते है ।
 
- 51840000 सौर मास होते है ।
 
नक्षत्र भगण से सौर भगण घटाने पर सावन होता है ।
====समय चक्र====
इस ग्रंथ में वर्णित समय-चक्र विलक्षण रूप से विशुद्ध थे। हिन्दू ब्रह्माण्डीय समय चक्र सूर्य सिद्धांत के पहले अध्याय के श्लोक 11–23 में आते हैं।<ref>cf. Burgess.</ref>: