"वैदिक सभ्यता": अवतरणों में अंतर

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{{भारतीय इतिहास}}
 
इसलिएवैदिक यहकाल, प्राचीनया भारतवैदिक कीयुग सभ्यता(c. नही1500 है।- वैदिकc.500 कालईसा वहपूर्व), काल है जिसमेंशहरी [[वेद|वेदोंसिंधु घाटी सभ्यता]] काके लेखनअंत हुआ।और लेकिनउत्तरी लिखितमध्य-गंगा वेदमें आजशुरू तकहोने नहीवाले मिलाएक है।दूसरे कईशहरीकरण भारतीयके इतिहासकारोंबीच कीउत्तरी मानेंभारतीय तोउपमहाद्वीप इससेके पूर्वइतिहास भीमें वेदअवधि भाषाहै। केसादा रूपc. में600 थे,ई.पू. जिन्हेइसका वैदिकनाम कालवेदों मेंसे लिखामिलता गया।है, भारतीयजो विद्वान्इस तोअवधि इसके सभ्यतादौरान कोजीवन अनादिका परम्पराविवरण सेदेने आयावाले हुआप्रख्यात मानतेग्रंथ हैं।हैं एकजिन्हें तौरऐतिहासिक पर यहमाना सोंचनेगया वालीहै बातऔर भीअवधि हैको क्योंकिसमझने "कल्पके विग्रह"लिए नामप्राथमिक कीस्रोतों शिवका कीगठन मूर्तिकिया जोगया तिब्बतहै। सेसंबंधित प्राप्तपुरातात्विक हुई,रिकॉर्ड उसकेके कार्बनसाथ डेटिंगये सेदस्तावेज पतावैदिक चलासंस्कृति किके वहविकास २८४५०का वर्षपता पुरानीलगाने है,और जोअनुमान इतिहासकारोंलगाने कोकी बौखलाअनुमति देतादेते है।हैं।<ref>[https://www.booksfact.com/archeology/kalpa-vigraha-oldest-hindu-idol-of-lord-siva-26450-bc.html कल्प विग्रह।]</ref> आम तौर पर अधिकतर विद्वान वैदिक सभ्यता का काल 5000 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व के बीच मे मानत है| <ref>{{cite web|url=https://www.bbc.com/hindi/india-46709161|title=आर्य बाहर से भारत आए थे: नज़रिया}}</ref>
 
वेदों की रचना और मौखिक रूप से एक पुरानी इंडो-आर्यन भाषा बोलने वालों द्वारा सटीक रूप से प्रेषित की गई थी, जो इस अवधि के शुरू में भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में चले गए थे। वैदिक समाज पितृसत्तात्मक और पितृसत्तात्मक था। आरंभिक वैदिक आर्य पंजाब में केंद्रित एक कांस्य युग के समाज थे, जो कि राज्यों के बजाय जनजातियों में संगठित थे, और मुख्य रूप से जीवन का एक देहाती तरीका था। चारों ओर सी। 1200–1000 ई.पू., वैदिक आर्य पूर्व में उपजाऊ पश्चिमी गंगा के मैदान में फैल गए और उन्होंने लोहे के उपकरण अपना लिए, जो जंगल को साफ करने और अधिक व्यवस्थित, कृषि जीवन को अपनाने की अनुमति देते थे। वैदिक काल के उत्तरार्ध में भारत, और कुरु साम्राज्य के रूढ़िवादी यज्ञ अनुष्ठान के लिए एक जटिल सामाजिक विभेदीकरण, शहरों, राज्यों और एक जटिल सामाजिक भेदभाव के उद्भव की विशेषता थी। इस समय के दौरान, केंद्रीय गंगा मैदान एक संबंधित लेकिन गैर-वैदिक इंडो-आर्यन संस्कृति का प्रभुत्व था। वैदिक काल के अंत में सच्चे शहरों और बड़े राज्यों ([[महाजनपद]] कहा जाता है) के उदय के साथ-साथ asramaśa आंदोलनों (जैन धर्म और बौद्ध धर्म सहित) में वृद्धि हुई, जिसने वैदिक रूढ़िवाद को चुनौती दी।
क्योंकि आर्यो के भारत मे आने का न तो कोई पुरातत्त्व उत्खननो से प्रमाण मिला है और न ही डी एन ए अनुसन्धानो से कोई प्रमाण मिला है इस काल में वर्तमान [[हिंदू धर्म]] के स्वरूप की नींव पड़ी थी जो आज भी अस्तित्व में है।
 
वैदिक काल में सामाजिक वर्गों के एक पदानुक्रम का उदय हुआ जो प्रभावशाली रहेगा। वैदिक धर्म ब्राह्मणवादी रूढ़िवादी में विकसित हुआ, और कॉमन युग की शुरुआत के आसपास, वैदिक परंपरा ने तथाकथित "हिंदू संश्लेषण" के मुख्य घटकों में से एक का गठन किया।
 
वैदिक सामग्री संस्कृति के चरणों से पहचानी जाने वाली पुरातात्विक संस्कृतियों में गेरू की कब्र संस्कृति, काले और लाल वेयर संस्कृति और चित्रित ग्रे वेयर संस्कृति में गेरू रंग की बर्तनों की संस्कृति शामिल है।{{sfn|Witzel|1989}}
 
वेदों के अतिरिक्त [[संस्कृत]] के अन्य कई ग्रंथो की रचना भी 14-15 वीं काल में हुई थी। वेदांगसूत्रौं की रचना [[मन्त्र]] [[ब्राह्मणग्रंथ]] और [[उपनिषद]] इन वैदिकग्रन्थौं को व्यवस्थित करने मे हुआ है। अनन्तर रामायण, महाभारत,और पुराणौंकी रचना हुआ जो इस काल के ज्ञानप्रदायी स्रोत मानागया हैं। अनन्तर [[चार्वाक]] , [[तान्त्रिकौं]] ,[[बौद्ध]] और [[जैन धर्म]] का उदय भी हुआ।