"झुन्झुनू": अवतरणों में अंतर
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माण्डल युद्ध पर लिखी पुस्तक के तथ्यों के आधार पर टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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झुंझुनू का अन्तिम नवाब रुहेल खान जो आस-पास के अपने ही वंश के नवाबों से प्रताड़ित था| ऐसे में शार्दूल सिंह शेखावत को यहाँ बुला लिया| रुहेल खान की मृत्यु के बाद विक्रम सम्वत १७८७ में झुंझुनू पर शेखावत राजपूतों का अधिपत्य हो गया जो जागीर अधिग्रहण तक चलता रहा|
शार्दूल सिंह के निधन के बाद उसके पाँच पुत्रों जोरावर सिंह, किशन सिंह, अक्षय सिंह, नवल सिंह और केशरी सिंह के बीच झुंझुनू ठिकाने का विभाजन हुआ| यही पंच्पना कहलाया| इतिहासकारों के अनुसार जोरावर सिंह व् उनके वंशजो के अधीन चौकड़ी, मलसीसर, मंडरेला, डाबडी,
6 जून 1775 को मांडण नामक जगह पर ऐतिहासिक युद्ध हुआ जिसमें शेखावतों ने दिल्ली सल्तनत को पराजित किया।
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ झुंझुनू जिले में व्याप्त जनाक्रोध कई आंदोलनों के रूप में सामने आया| स्वतंत्रता सैनानी सावलराम के अनुसार इस जनपद में आर्य समाज आन्दोलन, जकात आन्दोलन, जागीरदारों के खिलाफ आन्दोलन प्रजा मंडल आन्दोलन और अंग्रेजों के विरुद्ध आन्दोलन चले जो कमोबेश एक दुसरे के पूरक थे|
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