"उपपुराण": अवतरणों में अंतर

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== अष्टादश उपपुराण ==
अष्टादश पुराणों की तरह अष्टादश उपपुराण भी परम्परा से प्रचलित हैं एवं अनेकत्र उनका उल्लेख मिलता है। इन उप पुराणों की संख्या यद्यपि अठारह प्रचलित है, परन्तु इससे बहुत अधिक मात्रा में उपपुराण नामधारी ग्रन्थों का उल्लेख तथा अस्तित्व मिलता है। संग्रह भाव से एकत्र की गयी उपपुराणों की सूचियाँ ही करीब दो दर्जन हैं। डॉ॰ आर॰ सी॰ हाज़रा ने अपनी उपपुराण विषयक पुस्तक में विभिन्न ग्रन्थों से उपपुराणों की तेईस सूचियाँ प्रस्तुत की हैं।<ref>Studies In The Upapuranas, volume-1, Dr. R.C. Hazra, Sanskrit College, Calcutta, edition-1958, p.4-13.</ref> इन्हीं सूचियों को देवनागरी लिपि में डॉ॰ कपिलदेव त्रिपाठी ने 'पाराशरोपपुराणम्' की भूमिका में प्रस्तुत किया है।<ref>पाराशरोपपुराणम् , संपादक- डॉ॰ कपिलदेव त्रिपाठी, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, प्रथम संस्करण-१९९०, पृष्ठ-१६-२४.</ref> इन सूचियों में कुछ और जोड़कर डॉ॰ बृजेश कुमार शुक्ल ने 'आद्युपपुराणम्' की भूमिका में मूल श्लोक रूप में कुल २७ सूचियाँ प्रस्तुत की हैं।<ref>आद्युपपुराणम् (सानुवाद), सं॰अनु॰- डॉ॰ बृजेश कुमार शुक्ल, नाग पब्लिशर्स, दिल्ली, प्रथम संस्करण-2003, पृष्ठ-X-XXI.</ref> २८ वीं में मत्स्य पुराण के उद्धरण हैं। इन सभी सूचियों में से कुछ को छोड़कर शेष सभी के मूलाधार ग्रन्थों में बाकायदा [[कूर्म पुराण]] का नाम लेकर पूर्वोक्त सूची ही प्रस्तुत की गयी है। फिर भी कहीं-कहीं पाठभेद मिलने पर इन अध्येताओं ने उन्हें अलग पुराण के रूप में गिन लिया है। इस सन्दर्भ में यह तथ्य विशेष ध्यातव्य है कि उपपुराणों की सर्वाधिक विश्वसनीय एवं अपेक्षाकृत सर्वाधिक प्राचीन सूची अष्टादश मुख्य पुराणों में ही अनेकत्र मिलती है। यह तथ्य भी विशेष ध्यातव्य है कि मुख्य पुराणों में उपलब्ध ये सूचियाँ बिल्कुल सामान हैं। [[स्कन्द पुराण]] के प्रभास खण्ड<ref>स्कन्द पुराण, प्रभास खण्ड-२-११ से १५; स्कन्दमहापुराणम् (मूलमात्र), चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी, द्वितीय संस्करण- सन् २०११, पृष्ठ-३.</ref><ref>संक्षिप्त स्कन्दपुराणांक, गीताप्रेस गोरखपुर, संस्करण- संवत् २०५८, पृष्ठ-९४७.</ref> में तथा [[कूर्म पुराण]]<ref>कूर्मपुराण, पूर्वभाग-१-१७ से २०; कूर्मपुराण (सटीक), गीताप्रेस गोरखपुर, प्रथम संस्करण- संवत् २०६१, पृष्ठ-२,३.</ref> एवं [[गरुड़ पुराण]]<ref>श्रीगरुडमहापुराणम्, आचार काण्डम्-२२३-१७ से २०; श्रीगरुडमहापुराणम् (मूलमात्र, श्लोकानुक्रमणिका सहित), नाग पब्लिशर्स, दिल्ली, पंचम संस्करण-२०१२, पत्र संख्या-१४६.</ref> में प्रायः बिल्कुल समान रूप में अष्टादश उपपुराणों की सूची दी गयी है, जो इस प्रकार है :-
 
=== अष्टादश उपपुराणों की सूची ===