"कश्मीर": अवतरणों में अंतर

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== संस्कृति ==
यहाँ की सूफ़ी-परम्परा बहुत विख्यात है, जो कश्मीरी इस्लाम को परम्परागत शिया और सुन्नी इस्लाम से थोड़ा अलग और हिन्दुओं के प्रति सहिष्णु बना देती है। कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीरी पंडित कहा जाता है और वो सभी [[ब्राह्मण]] माने जाते हैं। सभी कश्मीरियों को कश्मीर की संस्कृति, यानि कि '''कश्मीरियत''' पर बहुत नाज़ है। वादी-ए-कश्मीर अपने चिनार के पेड़ों, कश्मीरी सेब, केसर (ज़ाफ़रान, जिसे संस्कृत में '''काश्मीरम्''' भी कहा जाता है), पश्मीना ऊन और शॉलों पर की गयी कढ़ाई, गलीचों और देसी चाय (कहवा) के लिये दुनिया भर में मशहूर है। यहाँ का सन्तूर भी बहुत प्रसिद्ध है। आतंकवाद से बशक इन सभी को और कश्मीरियों की खुशहाली को बहद धक्का लगा है। कश्मीरी व्यंजन भारत भर में बहुत ही लज़ीज़ माने जाते हैं। नोट करें कि ज़्यादातर कश्मीरी पंडित मांस खाते हैं। कश्मीरी पंडितों के मांसाहारी व्यंजन हैं : नेनी (बकरे के ग़ोश्त का) क़लिया, नेनी रोग़न जोश, नेनी यख़ियन (यख़नी), मच्छ (मछली), इत्यादि। कश्मीरी पंडितों के शाकाहारी व्यंजन हैं : चमनी क़लिया, वेथ चमन, दम ओलुव (आलू दम), राज़्मा गोआग्जी, चोएक वंगन (बैंगन), इत्यादि। कश्मीरी मुसल्मानों के (मांसाहारी) व्यंजन हैं : कई तरह के कबाब और कोफ़्ते, रिश्ताबा, गोश्ताबा, इत्यादि। परम्परागत कश्मीरी दावत को '''वाज़वान''' कहा जाता है। कहते हैं कि हर कश्मीरी की ये ख़्वाहिश होती है कि ज़िन्दगी में एक बार, कम से कम, अपने दोस्तों के लिये वो वाज़वान परोसे। कुल मिलाकर कहा जयेजाये तो कश्मीर हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का अनूठा मिश्रण है।
 
== मौसम ==