"सामवेद संहिता": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
संजीव कुमार (वार्ता | योगदान) छो 2401:4900:3058:642B:8416:5DB3:F3F2:800B (Talk) के संपादनों को हटाकर 2401:4900:3053:D377:0:65:8FFD:5101 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 5:
== महत्व ==
सामवेद का महत्व इसी से पता चलता है कि गीता में कहा गया है कि -वेदानां सामवेदोऽस्मि। <ref>गीता-अ० १०, श्लोक २२</ref>। [[महाभारत]] में गीता के अतिरिक्त ''अनुशासन पर्व'' में भी
===नामाकरण ===
पंक्ति 15:
जिस प्रकार से ऋग्वेद के मंत्रों को ''ऋचा'' कहते हैं और यजुर्वेद के मंत्रों को ''यजूँषि'' कहते हैं उसी प्रकार सामवेद के मंत्रों को ''सामानि'' कहते हैं। ऋगवेद में साम या सामानि का वर्णन २१ स्थलों पर आता है (जैसे ५.४४.१४, १.६२.२, २.२३.१७, ९.९७.२२)।
== विषय==
|