"रामस्‍वरूप चतुर्वेदी": अवतरणों में अंतर

छो हिंदुस्थान वासी ने प्रो. राम स्वरूप चतुर्वेदी पर पुनर्निर्देश छोड़े बिना उसे रामस्‍वरूप चतुर्वेदी पर स्थानांतरित किया
पंक्ति 1:
[[चित्र:आचार्य रामस्वरूप{{merge|रामस्‍वरूप चतुर्वेदी .jpg|अंगूठाकार]]}}
{{ज्ञानसन्दूक लेखक
[[चित्र:19x13 Ramswaroop Chaturvedi (1).jpg|अंगूठाकार]]
| नाम = प्रो॰ राम स्वरूप चतुर्वेदी
'''रामस्‍वरूप चतुर्वेदी''' (१९३१ - २००३) [[हिन्‍दी साहित्‍य]] के उन समीक्षकों में से थे जो मुख्‍यतः भाषा की सृजनात्‍मकता को केन्‍द्र में रखकर समीक्षा कर्म में प्रवृत्‍त हुए थे।
| चित्र =
| चित्र आकार = 200px
| चित्र शीर्षक = प्रो॰ राम स्वरूप चतुर्वेदी
| उपनाम =
| जन्मतारीख़ =
| जन्मस्थान =,
| मृत्युतारीख़ =
| मृत्युस्थान =
| कार्यक्षेत्र = साहित्यकार
| राष्ट्रीयता = [[भारत|भारतीय]]
| भाषा = [[हिन्दी]]
| काल = आधुनिक काल<!--is this for her writing period, or for her life period? I'm not sure...-->
| विधा =
| विषय =
| आन्दोलन =
| प्रमुख कृति =
| प्रभाव डालने वाला = <!--यह लेखक किससे प्रभावित होता है-->
| प्रभावित = <!--यह लेखक किसको प्रभावित करता है-->
| हस्ताक्षर =
| जालपृष्ठ =
| टीका-टिप्पणी = [[व्यास सम्मान]] द्वारा सम्मानित
| मुख्य काम =
}}
 
==परिचय==
उनका [[जन्म]] ६ मई १९३१ को हुआ था। उन्होंने [[आगरा]] से १९४६ में हाईस्कूल किया, [[कानपुर]] के क्राइस्ट चर्च कॉलेज से बी.ए. की डिग्री ली और १९५० में [[इलाहाबाद]] चले गये। सन १९५४ में [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] के हिन्दी विभाग में प्रवक्ता पद पर नियुक्त हुए और प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए। २४ जुलाई २००३ को ७२ वर्ष की आयु में उनका [[मृत्यु|निधन]] हुआ। एक [[आलोचक|समीक्षक]] के रूप में उन्होंने [[हिन्दी साहित्य]] को कई ग्रन्थ दिये। 'हिन्दी साहित्य और संवेदना का विकास' नामक कृति के लिये उन्हें १९९६ का [[व्यास सम्मान]] मिला।
 
= रामस्वरूप चतुर्वेदी =
'''जन्म :''' 6 मई, 1931
 
'''निधन :''' 24 जुलाई, 2003
 
'''रामस्वरूप चतुर्वेदी'''
 
जन्म: 1931 ई. में कानपुर में। आरंभिक शिक्षा पैतृक गाँव कछपुरा (आगरा) में हुई। बी.ए. क्राइस्ट चर्च, कानपुर से। एम.ए. की उपाधि इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1952 में। वहीं हिंदी विभाग में अध्यापन (1954-1991)। डी.फ़िल् की उपाधि 1958 में मिली, डी.लिट् की 1972 में।
 
आरंभिक समीक्षापरक निबंध 1950 में प्रकाशित हुए। नयी प्रवृत्तियों से संबद्ध पत्रिकाओं का संपादन किया: ‘नये पत्ते’ (1952), ‘नयी कविता’ (1954), ‘क ख ग’ (1963)। शोध-त्रैमासिक ‘हिंदी अनुशीलन’ का संपादन (1960-1984)।
 
प्रकाशन: शरत् के नारी पात्र (1955), हिंदी साहित्य कोश (सहयोग में संपादित - प्रथक भाग 1958, द्वितीय भाग 1963), हिंदी नवलेखन (1960), आगरा जिले की बोली (1961), भाषा और संवेदना (1964), अज्ञेय और आधुनिक रचना की समस्या (1968), हिंदी साहित्य की अधुनातन प्रवृत्तियाँ (1969), कामायनी का पुनर्मूल्यांकन (1970), मध्यकालीन हिंदी काव्यभाषा (1974), नयी कविताएँ: एक साक्ष्य (1976), कविता यात्रा (1976), गद्य की सत्ता (1977), सर्जन और भाषिक संरचना (1980), इतिहास और आलोचक-: ष्टि (1982), हिंदी साहित्य और संवेदना का विकास (1986), काव्यभाषा पर तीन निबंध (1989), प्रसाद-निराला-अज्ञेय (1989), साहित्य के नये दायित्व (1991), कविता का पक्ष (1994), समकालीन हिंदी साहित्य: विविध परि: श्य (1995), हिंदी गद्य: विन्यास और विकास (1996), तारसप्तक से गद्यकविता (1997), भारत और पश्चिम: संस्कृति के अस्थिर संदर्भ (1999), आचार्य रामचंद्र शुक्ल - आलोचना का अर्थ: अर्थ की आलोचना (2001), भक्ति काव्य-यात्रा (2003)।
 
संयुक्त संस्करण: भाषा-संवेदना और सर्जन (1996), आधुनिक कविता-यात्रा (1998)।
 
आलोचना: सैद्धांतिक और व्यावहारिक, भाषाशास्त्र तथा विचारों के साहित्य में विशेष रुचि।
 
सुषमा के साथ विवाह: 1955। तीन बेटे - विनीत (=पल्लवी), विनय (=दीपा), विवेक (=शेफाली)।
 
साधना तथा व्यास सम्मान: 1996
 
* भाषा की एक विशेषता यह है कि वह सदैव गतिशील रहती है यदि समय कभी नही रुकता तो भाषा भी कभी नहीं रूकती। तभी संत कबीरदास ने कहा -संसकीरत है कूपजल, भाखा बहता नीर। वस्तुतः चेतना में व्याप्त अनुभूति का भाषा के साथ अभेद संबंध है, इसे इस प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।..जाड़ा लगना एक बाह्य भाषिक अनुभव है, जाड़ा लग रहा है उस बाह्य भाषिक अनुभव का अनुभव है यानि की अनुभूति है, फिर इस अनुभूति का अनुभव कवि के यहाँ कुछ इस प्रकार संभव होता है -शिशिर की शर्वरी, हिंस्र पशुओं भरी(कवि निराला)। अतः अनुभव का अनुभव यानि की अनुभूति या कि भाषा है। और फिर भाषा और अनुभूति के अद्वैत रूप को स्वीकार करते हुए कविता या की रचना की परिभाषा इस प्रकार है -अनुभव होने के अनुभव होने का अनुभव कविता है। भाषा में मानव जीवन के विविध अनुभव संचित होते हैं यह मनुष्य का आदिसर्जन है, संसार का कोई अनुभव जब चेतना में बिम्बित होता है तो भी भाषा के साथ होता है और सृजित होता है तो भी भाषा के साथ। काव्य या कि साहित्य भाषा के आधार पर ही स्थिर होता है। अन्य कलाओं की तुलना में साहित्य रंग या की सुर की बजाय भाषा होने के कारण अपनी प्रकृति में बौद्धिक अधिक है। वहाँ विचार और अनुभव एक दूसरे में डूब जाते हैं जबकि अन्य कलाओं जैसे -संगीत, चित्र या मूर्तिकला में प्रधानता अनुभव की है। विचार और अनुभूति की संश्लिष्टता भाषा की विशेषता है इसीलिए साहित्य भाषा में रचा जाता है। विचार और अनुभूति के संश्लेष से साहित्य या कि काव्य में अर्थ की सृष्टि होती है। इस प्रकार साहित्य में अर्थ की विकसनशील प्रक्रिया चलती रहती है जो देशकाल व व्यक्ति को छूती रहती है। सुनिश्चित प्रतिमानों या कि पैमानों के सहारे चाहे वे पुराने हों या नए कविता की निरंतर विकसनशील प्रक्रिया को समझा समझाया नहीं जा सकता है। प्रतिमानों के आधार पर कविता लिखी नहीं जाती तो समझी भी नहीं जाती वस्तुतः कविता को समझना उसकी रचना प्रक्रिया का ही विस्तार है और कविता के अर्थ विस्तार की यह प्रक्रिया संभव करना ही आलोचक का प्रधान कर्म है। किसी आलोचक का जब किसी कविता से साक्षात्कार होता है तो प्रथम अनुभव भाषा से होता है फिर भाषा के सहारे उसके अर्थ का बोध करता है यह द्वितीयक अनुभव या कि काव्यानुभव का अनुभव है और फिर अर्थ के सहारे कविता के आधार अनुभव को ग्रहण करता है यह द्वितीयक अनुभव का अनुभव या कि काव्यानुभव के अनुभव का अनुभव है और यही आलोचना है जिसमें रचना का अर्थविस्तार स्वतः होता रहता है। इस प्रकार काव्य रचना और आलोचना में एक दृष्टिगत सामंजस्य होता है। जहाँ रचना यदि जीवन का अर्थविस्तार है तो आलोचना उस रचना का अर्थविस्तार है।रामस्वरूप चतुर्वेदी : काव्यानुभव के अनुभव का अनुभव का यही मर्म है जहाँ कविता को समझने के लिए कविता की समझ जरुरी है न कि किसी विचारधारा की। अधिकतर विचारधारा के आग्रही आलोचक कविता में निहित अनुभव और अर्थ का विस्तार करने की बजाय स्वयं अपनी अपनी विचारधारा का अर्थविस्तार देते हैं जो कि कविता या कि साहित्य के लिए हानिकर है
 
==कृतियाँ==
उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्‍नलिखित हैं-
 
* हिन्‍दी नवलेखन (1960),
* भाषा और संवेदना (1964),
* अज्ञेय और आधुनिक रचना की समस्‍या (1968),
* हिन्‍दी साहित्‍य की अधुनातन प्रवृत्तियां (1969),
* कामायनी का पुनर्मूल्‍यांकन (1970),
* मध्‍यकालीन हिन्‍दी काव्‍यभाषा (1974),
* कविता यात्रा, रत्‍नाकर से अज्ञेय तक (1976),
* सर्जन और भाषिक संरचना (1980),
* इतिहास और आलोचक दृष्टि (1982),
* हिन्‍दी साहित्‍य और संवेदना का विकास (1986),
* काव्‍यभाषा पर तीन निबंध (1989),
* प्रसाद, निराला, अज्ञेय (1989),
* कविता का पक्ष (1994),
* हिन्‍दी गद्यः विन्‍यास और विकास (1996),
* आधुनिक कविता यात्रा (1998),
* आचार्य रामचंद्र शुक्‍ल आलोचना का अर्थ और अर्थ की आलोचना (2001),
* भक्तिकाव्‍य यात्रा (2002)।
 
== बाहरी कड़ियाँ==
* [http://sahityaamrit.in/details.asp?id=2940&title=%26%232346%3B%26%232381%3B%26%232352%3B%26%232379%3B.+%26%232352%3B%26%232366%3B%26%232350%3B%26%232360%3B%26%232381%3B%26%232357%3B%26%232352%3B%26%232370%3B%26%232346%3B+%26%232330%3B%26%232340%3B%26%232369%3B%26%232352%3B%26%232381%3B%26%232357%3B%26%232375%3B%26%232342%3B%26%232368%3B+%26%232307%3B+%26%232354%3B%26%232375%3B%26%232326%3B%26%232344%3B+%09%26%232350%3B%26%232375%3B%26%232306%3B+%26%232357%3B%26%232367%3B%26%232344%3B%26%232379%3B%26%232342%3B&sec=%26%232310%3B%26%232354%3B%26%232375%3B%26%232326%3B&wr=%26%232361%3B%26%232375%3B%26%232352%3B%26%232306%3B%26%232348%3B+%26%232330%3B%26%232340%3B%26%232369%3B%26%232352%3B%26%232381%3B%26%232357%3B%26%232375%3B%26%232342%3B%26%232368%3B प्रो॰ रामस्वरूप चतुर्वेदी: लेखन में विनोद] - हेरम्ब चतुर्वेदी का आलेख [[साहित्‍य अमृत]] अंक अगस्त 2010
* आचार्य रामचन्द्र शुक्ल [[हिंदी साहित्य का इतिहास]], पंचम संस्करण: 2007, [[लोकभारती प्रकाशन]], एम.जी. रोड, [[इलाहाबाद]] की भूमिका।
* स्मृति और संस्मृति : रामस्वरूप चतुर्वेदी- संपादक महेंद्र प्रसाद कुशवाहा, साहित्य भंडार प्रकाशन, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण-2015
* संवाद, संवेदना और प्रतिरोध : रामस्वरूप चतुर्वेदी- संपादक महेंद्र प्रसाद कुशवाहा,साहित्य भंडार प्रकाशन, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण-2016
* रामस्वरूप चतुर्वेदी : आलोचकथाएँ-संपादक महेंद्र प्रसाद कुशवाहा,साहित्य भंडार प्रकाशन, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण-2018
*https://mahendranshu.blogspot.com/
*https://www.facebook.com/Sahitya-Bhandar-281249888697809/
*http://allduniv.ac.in/
*http://allduniv.ac.in/department/hindi
*http://blogs.worldbank.org/team/vinaya-swaroop
*https://www.youtube.com/watch?v=n_C2sdBK3Wk
*https://www.youtube.com/watch?v=n_C2sdBK3Wk
*https://www.youtube.com/watch?v=NpNpYl_ROfA
*https://www.rajkamalprakashan.com/lok/jmproducts/filter/index/?author=868
*https://www.youtube.com/watch?v=eVOOrOyhsOo
*https://www.youtube.com/watch?v=BYt1IpdenL4
*
*
*
*
 
[[श्रेणी:1931 में जन्मे लोग]]
[[श्रेणी:२००३ में निधन]]
[[श्रेणी:हिन्दी]]
[[श्रेणी:हिन्दी साहित्य]]
[[श्रेणी:व्यास सम्मान]]
[[श्रेणी:हिन्दी आलोचक]]
[[श्रेणी:चित्र जोड़ें]]