"बलिया जिला": अवतरणों में अंतर

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==इतिहास ==
बलिया 1 नवम्बर सन् 1879 में [[गाजीपुर]] से अलग हुआ। लगातार अशान्त रहने के कारण अग्रेजों ने इसे गाजीपुर से अलग कर दिया। [[भारत छोड़ो आन्दोलन|1942 के आंदोलन]] में बलिया के निवासियों ने स्थानीय अंग्रेजी सरकार को उखाड़ फेंका था। [[चित्तू पांडेय]] के नेतृत्व में कुछ दिनों तक स्थानीय सरकार भी चली, लेकिन बाद में अंग्रेजों ने वापस अपनी सत्ता कायम कर ली।[[भारत]] के पूर्व प्रधान मन्त्री [[चन्द्रशेखर]] भी इसी जिले के मूल निवासी थे। [[आपातकाल (भारत)|आपात काल]] के बाद हुई क्राति के जनक तथा महान स्वतंत्रता सेनानी [[जयप्रकाश नारायण]] भी इसी जिले के मूल निवासी थे। समाजवादी चिंतक तथा देश में 'छोटे लोहिया' के नाम से विख्यात [[जनेश्वर मिश्र]] भी यही के निवासी थे।
[[वीर लोरिक]] ""का इतिहास इस जिला से जुड़ा हुआ है उनकी वीरता के बारे में ये कहा गया है कि उन्होंने अपनी तलवार से ही पत्थर को दो हिस्सों में अलग अलग कर दिया आज भी वह पत्थर मौजूद है बलिया को [[बागी बलिया ]]के नाम से भी जाना जाता है |
प्रमुख नेताओ में स्व [[गौरी शंकर भइया]] , [[काशीनाथ मिश्र]] , [[मैनेजर सिंह]], [[सांसद]] [[भरत सिंह]] [[रामगोविन्द चौधरी]] , अतुल कुमार सोनी आदि प्रसिद्ध है
यहाँ पर वीर कुवर सिंह का ननिहाल भी हैं। [[बलिया का चुनावी इतिहास]] भी काफी रोचक रहा है पहले यहाँ विधान सभा की आठ सीटे थी पर वर्तमान समय मे सात सीटे है।