"हाफ़ टिकट": अवतरणों में अंतर

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| caption = '''हाफ टिकट का पोस्टर'''
| producer = कालीदास
| director = [[कालीदासकालीदा (हिन्दी फ़िल्म निर्देशक)|कालीदास]]
| music = [[सलिल चौधरीचौअधरी]] (संगीतकार)<br />[[शैलेन्द्र]] (गीतकार)
| writer = सुरिद कार (कहानी), रमेश पंत (पटकथा एवं संवाद)
| starring = [[किशोर कुमार]], <br />[[मधुबाला]], <br />[[प्राण (अभिनेता)|प्राण]], <br />[[शम्मी]], <br />[[हेलन]], <br />[[मनोरमा (अभिनेत्री)|मनोरमा]], <br />[[मोनी चटर्जी]], <br />[[नर्बदा शंकर]], <br />[[टुन टुन]], <br />पूनम, <br />दिलीप, <br />
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}}
'''हाफ टिकट''' १९६२ में बनी [[हिन्दी भाषा]] की एक हास्य फ़िल्म है। इस फ़िल्म के निर्माता व निर्देशक कालीदास हैं और मुख्य कलाकार [[किशोर कुमार]], [[मधुबाला]] और [[प्राण (अभिनेता)|प्राण]] हैं।
 
== संक्षेप ==
विजय ([[किशोर कुमार]]) एक अमीर घराने का नाकारा लड़का है जिसका बाप उसे घर से निकाल देता है। अपनी किस्मत आज़माने के लिए वह मुंबई जाने का फ़ैसला करता है लेकिन पैसा न होने के कारण वह एक छोटे बच्चे मुन्ना का भेष बनाकर ट्रेन का हाफ़ टिकट ख़रीदता है। जब वह टिकट ख़रीद रहा होता है तो हीरों का चोर राजा ([[प्राण (अभिनेता)|प्राण]]) चुपके से उसके पीछे की जेब में वह हीरा छुपा देता है। अपने को विजय का चाचा बताकर जब दोनों ट्रेन में चढ़ते हैं तो राजा विजय की जेब से वह हीरा वापस लेने की कोशिश करता है लेकिन विजय उसके चंगुल से भागकर दूसरे डिब्बे में चढ़ जाता है जहाँ उसकी मुलाकात रजनी ([[मधुबाला]]) से होती है जो एक रंगमंच की कलाकार है। रजनी को देखते ही विजय को उससे प्यार हो जाता है। फिर पूरी फ़िल्म विजय का राजा के हाथों से बार-बार बच निकलना और रजनी के सामने अपने प्यार का इज़हार करने में निकल जाती है। अंत में पुलिस राजा को पकड़ लेती है और विजय और रजनी, जिसका असली नाम आशा है, की शादी हो जाती है।