"बौद्धनाथ": अवतरणों में अंतर

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स्तूप 36 मीटर ऊंचा है और [[कला]] का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस स्तूप के बारे में माना जाता है कि जब इसका निर्माण किया जा रहा था, तब क्षेत्र में भयंकर अकाल पड़ा था। इसलिए पानी न मिलने के कारण ओस की बूंदों से इसका निर्माण किया गया।
बुद्ध नाथ पंथ के अनुयायी थे इसी कारण इस स्थल का नाम बौद्धनाथ रखा गया जो कि अब बुद्ध को बौद्ध धर्म का माना जाता हे । ( नाथ पंथ की संस्क्रति अनुसार नाथ संत कानों में कुण्डल पहनते हें । प्राचीन मूर्तियों में बुद्ध के कानों में भी कुण्डल हुआ करते थे लेकिन अब उनके कानों को लंबा दिखाया जाता हे )
 
==छबिदीर्घा==