"केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान": अवतरणों में अंतर

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यह उद्यान भरतपुर के महाराजाओं की पसंदीदा शिकारगाह था, जिसकी परम्परा १८५० से भी पहले से थी। यहाँ पर [[ब्रिटिश वायसराय]] के सम्मान में पक्षियों के सालाना शिकार का आयोजन होता था। १९३८ में करीब ४,२७३ पक्षियों का शिकार सिर्फ एक ही दिन में किया गया [[मेलोर्ड]] एवं [[टील]] जैसे पक्षी बहुतायत में मारे गये। उस समय के [[भारत के गवर्नर जनरल]]लिनलिथ्गो थे, जिनने अपने सहयोगी [[विक्टर होप]] के साथ इन्हें अपना शिकार बनाया।
 
भारत की स्वतंत्रता के बाद भी १९७२ तक भरतपुर के पूर्व राजा को उनके क्षेत्र में शिकार करने की अनुमति थी, लेकिन १९८२ से उद्यान में चारा लेने पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया जो यहाँ के किसानों, [[गुर्जर]] समुदाय और सरकार के बीच हिंसक लड़ाई का कारण बना। rahul pawala 9785857277
 
== जंतु समूह ==