"पुराण": अवतरणों में अंतर
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== अष्टादश पुराण ==
पुराणों की संख्या प्राचीन काल से 18 मानी गई है पुराणों में एक विचित्रता यह है कि प्रत्येक पुराण में
पुराण अठारह हैं। <br />
:'''मद्वयं भद्वयं चैव ब्रत्रयं वचतुष्टयम्।
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# [[गरुड पुराण]]
# [[ब्रह्माण्ड पुराण]]
▲पुराणों में एक विचित्रता यह है कि प्रत्येक पुराण में अठारहो पुराणों के नाम और उनकीश्लोकसंख्या है। नाम और श्लोकसंख्या प्रायः सबकी मिलती है, कहीं कहीं भेद है। जैसे कूर्म पुराण में अग्नि के स्थान में वायुपुराण; मार्कंडेय पुराण में लिंगपुराण के स्थान में नृसिंहपुराण; देवीभागवत में शिव पुराण के स्थान में नारद पुराण और मत्स्य में वायुपुराण है। भागवत के नाम से आजकल दो पुराण मिलते हैं—एक श्रीमद्भागवत, दूसरा देवीभागवत। कौन वास्तव में पुराण है इसपर झगड़ा रहा है। [[रामाश्रम स्वामी]] ने 'दुर्जनमुखचपेटिका' में सिद्ध किया है कि श्रीमद्भागवत ही पुराण है। इसपर [[काशीनाथ भट्ट]] ने 'दुर्जनमुखमहाचपेटिका' तथा एक और पंडित ने 'दुर्जनमुखपद्यपादुका' देवीभागवत के पक्ष में लिखी थी।
=== प्रतीकात्मक संख्या अठारह व्यावहारिक संख्या इक्कीस ===
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