"जम्मू और कश्मीर": अवतरणों में अंतर

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== विवाद ==
[[चित्र:Maitreya Buddha the next Buddha.jpg|thumb|150px|right|थिकसे मठ लद्दाख में बुद्ध प्रतिमा का चेहरा]]
भारत की स्वतlस्वतन्त्रता के समय [[महाराज हरि सिंह]] यहाँ के शासक थे, जो अपनी रियासत को स्वतन्त्र राज्य रखना चाहते थे। [[शेख़ अब्दुल्ला]] के नेतृत्व में मुस्लिम कॉन्फ़्रेंस (बाद में नेशनल कॉन्फ्रेंस) कश्मीर की मुख्य राजनैतिक पार्टी थी। कश्मीरी पंडित, [[शेख़ अब्दुल्ला]] और राज्य के ज़्यादातर मुसल्मान कश्मीर का भारत में ही विलय चाहते थे (क्योंकि भारत धर्मनिर्पेक्ष है)। पर पाकिस्तान को ये बर्दाश्त ही नहीं था कि कोई मुस्लिम-बहुमत प्रान्त भारत में रहे (इससे उसके दो-राष्ट्र सिद्धान्त को ठेस लगती थी)। इस लिये 1947-48 में पाकिस्तान ने कबाइली और अपनी छद्म सेना से कश्मीर में आक्रमण करवाया और क़ाफ़ी हिस्सा हथिया लिया।<ref>{{Cite web|url=https://www.bbc.com/hindi/india-41766767|title=कबायली हमलावर थे या मुसलमानों की हिफ़ाज़त के लिए आए थे?|date=27 अक्तू॰ 2017|accessdate=1 मार्च 2019|via=www.bbc.com}}</ref>
 
उस समय प्रधानमन्त्री [[जवाहरलाल नेहरू]] ने [[मोहम्मद अली जिन्नाह]] से विवाद जनमत-संग्रह से सुलझाने की पेशक़श की, जिसे जिन्ना ने उस समय ठुकरा दिया क्योंकि उनको अपनी सैनिक कार्रवाई पर पूरा भरोसा था। महाराजा हरि सिंह ने शेख़ अब्दुल्ला की सहमति से भारत में कुछ शर्तों के तहत विलय कर दिया। [[भारतीय सेना]] ने जब राज्य का काफ़ी हिस्सा बचा लिया था, तब इस विवाद को संयुक्त राष्ट्र में ले जाया गया। संयुक्तराष्ट्र महासभा ने उभय पक्ष के लिए दो करार (संकल्प) पारित किये :-