"रघुराज प्रताप सिंह": अवतरणों में अंतर

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== जीवन परिचय ==
रघुराज का जन्म 31 अक्टूबर 1967 को [[प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश|प्रतापगढ़]] के भदरी रियासत में पिता श्री उदय प्रताप सिंह और माता श्रीमती मंजुल राजे के यहाँ हुआ। इनके दादा [[बजरंग बहादुर सिंह|राजा बजरंग बहादुर सिंह]], [[स्वतंत्रता सेनानी|स्वतंत्रता संग्राम सेनानी]] और [[हिमाचल प्रदेश]] के [[राज्यपाल]] थे। राघुराज के पिता राजा उदय प्रताप सिंह [[विश्व हिंदू परिषद]] व [[राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ]] के मानद पादाधिकारी रह चुके हैं। इनकी माता श्रीमती मंजुल राजे भी एक शाही परिवार की है। राजा भैया अपने परिवार के पहले ऐसे सदस्य थे जिन्होंने पहली बार राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश किया।
 
रघुराज प्रताप की प्राथमिक शिक्षा नारायणी आश्रम, [[इलाहाबाद]] के महाप्रभु बाल विद्यालय में हुआ। सन 1985 में भारत स्काउट एंड गाइड हाई स्कूल से दसवी तथा सन 1987 में इलाहाबाद के एक इंटरमीडिएट स्कूल से बारहवी की पढ़ाई की। [[लखनऊ विश्वविद्यालय]] से इन्होंने [[कानून]] में [[स्नातक]] की डिग्री हासिल की। घुड़सवारी और निशानेबाजी के शौकीन राजा भैया [[लखनऊ विश्वविद्यालय]] से मिलिट्री साइंस और [[मध्यकालीन भारत|भारतीय मध्यकालीन इतिहास]] में [[स्नातक]] हैं। राजा भैया के बारे में कहा जाता है कि वे [[साइकिल]] चलाने से लेकर [[हवाई जहाज]] उड़ाने तक का कारनामा करते हैं।
 
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया का विवाह [[बस्ती]] रियासत की राजकुमारी भान्वी देवी से हुआ। इनके दो पुत्र शिवराज एंव ब्रृजराज, दो पुत्रियाँ राधवी और ब्रृजेश्वरी है।
 
== राजनैतिक करियर ==
रघुराज प्रताप सिंह [[कुंडा]] की सीट से, स्वतंत्र पूर्वक सन् [[1993]] में राज्य स्तरीय चुनाव में भाग लिया और विजयी होकर [[विधायक]] बने। तब वह सिर्फ 26 वर्ष के थे। सन् [[1999]] में इण्डियन जनरल इलेक्शन में इन्होंने [[राजकुमारी रत्ना सिंह]] के खिलाफ (जो कि इसी परिवार से ही सम्बंधित हैं), अपने चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को उतार दिया। राजा भैया कद्दावर राजनेता छवि के प्रभाव से उनके भाई भी उस चुनाव में जीत गए थे।