"नमाज़": अवतरणों में अंतर
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बनाके इंसां को तूने, लगाया जहां बचाने मे
मजहब की जंग छिड़ गई है, उँचा दिखाने में
महफूज़ हूँ तेरी पनाह मे आकर, ऐ खुदा!
बहने लगे लहु, पानी की तरह अब जमाने में
-सुभाष गुप्ता
प्रतापगंज(सुपौल)
== पाँच नमाजें==
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