"दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा": अवतरणों में अंतर

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* '''सन् 1999''' “त्रिभाषा शब्द कोश" का प्रकाशन।
 
==सभा के प्रमाणित प्रचारक==
== प्रकाशित पत्रिका ==
सभा की राष्ट्रभाषा विशारद और राष्ट्रभाषा प्रवीण परीक्षाओं में उत्तीर्णता के पश्चात् उपाधिधारी (यदि उनकी आयु 18 वर्ष अथवा उससे अधिक हो तो) सभा के प्रमाणित प्रचारक बन सकते हैं। वे गाँवों व शहरों में सबेरे और शाम के समय वर्ग संचालन करके सभा की परीक्षाओं के लिए विद्यार्थी तैयार करते हैं। महिलाओं सहित इन प्रमाणित प्रचारकों की कुल संख्या इस समय लगभग 52,000 है।
हिन्दी प्रचार समाचार (मासिक),
 
==पुस्तक प्रकाशन व साहित्य निर्माण==
प्रायः प्रारंभिक व उच्च परीक्षाओं के लिए आवश्यक सभी पाठ्य-पुस्तकों की रचना व प्रकाशन सभा की ओर से किया जाता है। सभा ने पाठ्य-पुस्तकों के अलावा दक्षिण की संस्कृति, साहित्य आदि से सम्बन्धित स्तरीय ग्रंथों के साथ-साथ हिन्दी और चारों प्रान्तीय भाषाओं के कोशों का संकलन और प्रकाशन भी किया है। सभा द्वारा प्रकाशित हिन्दी-अंग्रेजी, हिन्दी-तेलुगू, हिन्दी-तमिल, हिन्दी-कन्नड़ और हिन्दी-मलयालम की स्वबोधिनियाँ अत्यंत लोकप्रिय हुई हैं। हाल ही में सभा ने त्रिभाषा “हिन्दी-अंग्रेज़ी-तमिल” कोश भी प्रकाशित किया है, जिसका सर्वत्र स्वागत हुआ है। उल्लेखनीय बात है कि अब तक सभा के द्वारा 450 से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है।
 
भारतीय प्रकाशक संघ की ओर से दक्षिण भारत में हिन्दी पुस्तक प्रकाशन एवं बिक्री के माध्यम से समाज की विशिष्ट सेवा के लिए दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा को "विशिष्ट पुस्तक विक्रेता पुरस्कार" दिया गया। [[राष्ट्रीय हिन्दी अकादमी]] की ओर से [[पुद्दुचेरी]] में आयोजित 12 वें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में पुस्तक प्रदर्शनी का प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
 
==पत्रिकाएँ==
सभा प्रारम्भ से ही मासिक "हिन्दी पत्रिका" प्रकाशित कर रही है। पहले उसका नाम “हिन्दी प्रचारक” था। अब “हिन्दी प्रचार समाचार' है। इसमें हिन्दी प्रचारकों तथा विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सामग्री प्रकाशित होती है।
 
'''संपादक''' : जे. एस. रामदास
 
'''पता''' : दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, टी. नगर, पोस्ट ऑफिस, मद्रास (चेन्नै) - ६०००१७
 
इसके अलावा सभा "दक्षिण भारत" नामक एक उच्च स्तरीय त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन भी विगत 23 वर्षों से कर रही है।
 
==परीक्षाएँ==