"दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा": अवतरणों में अंतर

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इसके अलावा सभा "दक्षिण भारत" नामक एक उच्च स्तरीय त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन भी विगत 23 वर्षों से कर रही है।
 
==मुद्रणालय==
सभा का मुद्रणालय भारत की लगभग आठ भाषाओं में मुद्रण करता है। सभा के मुद्रणालय को साफ आकर्षक और सुंदर छपाई के लिए अखिल भारतीय विशेषज्ञ संघ तथा भारत सरकार की ओर से पुरस्कार मिले हैं।
 
==सभा के महत्वपूर्ण कार्य==
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अवधारणा के अनुसार सभा ने बहुभाषी भारत में हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकारने तथा राष्ट्रीय एकता की प्रेरणा देने में अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य किया है। दक्षिण के चारों प्रान्तों को राष्ट्रभाषा की दृष्टि से एक इकाई मानकर सभा ने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है। सभा के प्रयत्नों का ही यह परिणाम है कि स्वतन्त्रता के पहले अनेक जगहों में और स्वतंत्रता के बाद सर्वत्र दक्षिण के स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों में हिन्दी विषय तथा हिन्दी माध्यम का प्रवेश हुआ, हिन्दी के विभाग खोले गए, जिससे हज़ारों लोग हिन्दी में उच्च शिक्षा प्राप्त कर लाभान्वित हुए और यह क्रम आज भी जारी है।
 
'''स्त्री-शिक्षा''' की दिशा में सभा का काम महत्वपूर्ण है। जिन दिनों देश में स्त्री-शिक्षा का वातावरण सुषुप्तावस्था में था, उस समय इसने हिन्दी के द्वारा महिलाओं को शिक्षित किया, उनमें आत्मविश्वास जागृत किया और उनको घर के संकुचित दायरे से बाहर निकलकर समाज और देश की सेवा करने की दिशा में प्रोत्साहित किया। इसके अलावा सभा ने ऐसे कई युवकों को भी हिन्दी में शिक्षित किया, जो स्कूलों में नहीं जा पाते थे। कहने का तात्पर्य है कि सभा ने प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किया है।
 
सभा का एक और महत्वपूर्ण स्थान साहित्य के क्षेत्र में है। सभा ने दक्षिण की चारों भाषाओं में सैकड़ों ऐसे लोगों को तैयार किया, जिन्होंने हिन्दी तथा दक्षिणी भाषाओं के बीच साहित्यिक आदान-प्रदान का कार्य किया और कई मौलिक कृतियों की रचना कर साहित्य की अभिवृद्धि की। हिन्दी शिक्षण के क्षेत्र में सभा ने अत्याधुनिक इलक्ट्रानिक दृश्य-श्रव्य माध्यम के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाए हैं। इसके अन्तर्गत सभा तीन आडियो कैसेट (ध्वयंकित पाठ) जारी कर चुकी है -
(1) बोलचाल की हिन्दी (2) हिन्दी का सही प्रयोग (3) हिन्दी व्याकरण, भाग-१
 
हाल ही में सभा ने बापू के प्रिय भजनों का ध्वन्यंकन (आडियो कैसेट) जारी किया है। निकट भविष्य में वीडियो कैसेटों के निर्माण की योजना भी कार्यान्वित होगी।
 
सभा ने बोलचाल की हिन्दी पर ज़ोर देते हुए, “बच्चों की किताब", "रोज़मर्रा हिन्दी", "बोलचाल की हिन्दी" एवं संभाषण हिन्दी” नाम की पुस्तकों का प्रकाशन तथा बालकों को स्कूलों में अंशकालीन शिक्षा के लिए "परिचय” परीक्षा संचालन कार्य भी शुरू किया है।
 
==उच्च शिक्षा और शोध संस्थान (विश्वविद्यालय शाखा)==
सन् 1964 ई. में संसद में पारित अधिनियम सं. 14 के अनुसार सभा को हिन्दी में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चलाने और डिग्रियाँ प्रदान करने का अधिकार मिल गया है। उसी के अन्तर्गत सभा ने उच्च शिक्षा और शोध संस्थान के कार्य का शुभारम्भ किया। इस संस्थान द्वारा हिन्दी में स्नातकोत्तर स्तर पर साहित्य और प्रयोजनमूलक पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। नियमित एम.ए. के वर्ग संचालित हो रहे हैं। एम.फिल., पीएच.डी., डी.लिट., के लिए शोध कार्य सम्पन्न हो रहा है और डिग्रियाँ प्रदान की जा रही हैं। संस्थान हिन्दी शिक्षक तैयार करने की दृष्टि से बी.एड., एवं शिक्षा स्नातक कालेज चला रहा है। अब बी.ए. (तीन वर्ष), एम.ए. (हिन्दी), स्नातकोत्तर अनुवाद डिप्लोमा, एम.फिल, और पीएच.डी. का [[दूरस्थ शिक्षा]] पाठ्यक्रम भी शुरू हुआ है।
 
==परीक्षाएँ==