"मंदर पर्वत": अवतरणों में अंतर

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हिन्दू मान्यताओं के अनुसार [[समुद्र मंथन]] में देवताओं ने '''मन्दराचल''' (मन्दरमंदार पर्वत) को मथनी बनाया था। सदियों से खड़ा मंदार आज भी लोगों की आस्था का पर्वत है। इसे '''मंदराचल''' या मंदार पर्वत''' भी कहते हैं। यह बांका जिला में अवस्थित है।'''
[[चित्र:Kurma, the tortoise incarnation of Vishnu.jpg|center|600px|thumb|मन्दर पर्वत को मथनी बनाकर समुद्र को मथते हुए देवता और दानव]]
 
== स्थिति ==
बिहार राज्य के बांका जिला के बौंसी (Bounsi) में यह पर्वत स्थित है। भागलपुर से बौंसी पहुँचने से पूर्व स्टेट हाइवे - 19 और मंदार विद्यापीठ हॉल्ट के करीब यह पर्वत है। यहाँ से भागलपुर 50 किलोमीटर है। यह पर्वत अक्षांश 24<sup>0</sup> 50’ उत्तर तथा देशांतर 87<sup>0</sup> 4’ पूरब में अवस्थित है।
 
== मान्यता ==
लोक मान्यता है कि भगवान विष्णु सदैव मंदार पर्वत पर निवास करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह वही पर्वत है, जिसकी मथानी बनाकर कभी देव और दानवों ने समुद्र मंथन किया था। मकर-संक्रांति के अवसर पर यहां एक मेला भी लगता है जो करीब पंद्रह दिन तक चलता है। मंदार पर्वत से लोगों की आस्थाएं कई रूप से जुड़ी हैं। हिंदुओं के लिए यह पर्वत भगवान विष्णु का पवित्र आश्रय स्थल है तो जैन धर्म को मानने वाले लोग प्रसिद्ध तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य से इसे जुड़ा मानते हैं। वहीं आदिवासियों के लिए भी मंदार पर्वत परएक लगनेवालासिद्धि मेलाक्षेत्र कईहै उम्मीदजहां लेकरवे आताप्रतिवर्ष है।13 सोनपुरजनवरी मेलेकी रात्रि में रातभर राम-लक्ष्मण की समाप्तिसाधना केकरते बादहैं। सेयह हीसबसे लोगबड़ा मंदारसंताली पर्वतमेला है जहां प्रतिवर्ष रातभर के पासलिए लगनेएक वालेलाख मेलेसे काअधिक इंतजारलोग करते(सफा संप्रदाय के अनुयायी) आते हैं। सोनपुरइस मेलेसंप्रदाय केको बादबाबा [[मकरचंदर संक्रांति]]दास केने अवसरबनाया था। बौंसी परमें लगनेलगनेवाले वालाप्राचीन बौंसी कामेले दूसराको बड़ाअब 'राजकीय मेला' मानाका जातादर्ज़ा प्राप्त हुआ है।
 
बौंसी से दक्षिण में रेल और सड़क मार्ग पर स्थित [[बिहार ]]राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस मेले का इतिहास काफी पुराना है इसमें आदिवासी और गैर-आदिवासी बड़े पैमाने पर मिलजुल कर मेले का आनंद लेते हैं।
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===संदर्भ ग्रंथ===
* https://ramnama.blogspot.com/
* सृष्टि का मूल इतिहास, लेखक परशुराम ठाकुर ब्रहमवादी, प्रकाशित -1997, भागलपुर ,बिहार !
* इतिहास को एक नई दिशा लेखक - ब्रहमवादी !