"नट": अवतरणों में अंतर

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नट शब्द का एक अर्थ [[नृत्य]] या नाटक (अभिनय) करना भी है। सम्भवत: इस जाति के लोगों की इसी विशेषता के कारण उन्हें समाज में यह नाम दिया गया होगा। कहीं कहीं इन्हें बाज़ीगर या कलाबाज़ भी कहते हैं। शरीर के अंग-प्रत्यंग को लचीला बनाकर भिन्न मुद्राओं में प्रदर्शित करते हुए जनता का मनोरंजन करना ही इनका मुख्य पेशा है। इनकी स्त्रियाँ खूबसूरत होने के साथ साथ हाव-भाव प्रदर्शन करके नृत्य व गायन में काफी प्रवीण होती हैं।
 
नटों में प्रमुख रूप से दो उपजातियाँ हैं-बजनिया नट और ब्रजवासी नट। बजनिया नट प्राय: बाज़ीगरी या कलाबाज़ी और गाने-बजाने का कार्य करते हैं जबकि ब्रजवासी नटों में स्त्रियाँ [[नर्तकी]] के रूप में नाचने-गाने का कार्य करती हैं और उनके पुरुष या [[पति]] उनके साथ साजिन्दे ([[वाद्य यन्त्र]] बजाने) का कार्य करते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में नट लोग का मुकावला कुस्ती में कोई नहीं टरता था।
{{आधार}} अमरेख
 
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