"मतदान": अवतरणों में अंतर

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== महत्व ==
आधुनिक जनतंत्रों के मतदान के महत्व तथा उसकी प्रणाली के संबंध में विभिन्न सिद्धांत प्रतिपादित किए गए हैं। इन सिद्धांतों के फलस्वरूप, आवश्यकता के समय संघर्ष निवारण की सामाजिक प्रविधि के रूप में; शासन सत्ता के प्रति अनुवृत्ति प्राप्त करने के ढंग के रूप में; सामाजिक संघर्ष के बीच सामंजस्य स्थापित करने के साधन के रूप में; ठीक परिस्थितियों में ठीक निर्णय प्राप्त करने की पद्धति के रूप में, सामाजिक आवश्यकताओं तथा असंतोषों को अनावृत्ति की व्यवस्था के रूप में; तथा अल्पसंख्यकों को राज्य के लाभों से वंचित रखने की व्यवस्था से बचाने के ढंग के रूप में, मतदान को मान्यता प्राप्त हुई है। हाल में, इस समस्या पर यथेष्ट ध्यान दिया जाने लगा है कि जिन्हें kमताधिकारमताधिकार प्राप्त है वे किस सीमा तक इस अधिकार के प्रयोग में भाग लेने का कष्ट करते हैं। इस विषय में की गई खोज के अनुसार उन जनतंत्रात्मक देशों के लोग मतदान में अधिकतम संख्या में भाग लेते हैं जहाँ "अनिवार्य मतदान" की व्यवस्था अपनाई गई है। अनिवार्य मतदान का सिद्धांत सर्वप्रथम विस्तार के साथ स्विट्जरलैंड के सेंटगैलेन नामक कैंटन में व्यवहृत हुआ जिसके लिये सन् 1835 ईदृ में इसे कैंटन ने जिला परिषद्के चुनावों में अकारण भाग न लेनेवालों के लिये विधान द्वारा अर्थदंड की व्यवस्था की। यह व्यवस्था स्विस नागरिकों को मताधिकार के उत्तरदायित्व का अनुभव कराने में सफल हुई है। साथ ही, इस व्यवस्था के फलस्वरूप मतदाताओं को मतदान में संमिलित होने के लिये उन्हें घर से बाहर लाने का राजनीतिक संगठनों का कार्यभार भी हल्का हुआ है। इसी प्रकार बवेरिया ने सन् 1881 ईदृ में, बुलगेरिया ने सन् 1882 ईदृ तथा बेल्जियम ने सन् 1893 ईदृ अनिवार्य मतदान की व्यवस्था अपनाई। बवेरिया की व्यवस्था के अनुसार यदि मतदाताओं की पूरी संख्या के एक तिहाई से अधिक लोग मतदान में भाग नहीं लेते तो अनुपस्थित मतदाताओं को पुन: चुनाव कराने का पूरा व्यय वहन करना पड़ेगा। बेल्जियम ने अनुपस्थित मतदाताओं के लिये तीन दंड निर्धारित किए अंतर्विवेक पर—अर्थ दंड, सार्वजनिक भर्त्सना या कहे लज्जनवित करना तथा मताधिकार अपहरण।
 
[[अनिवार्य मतदान]] के विपक्ष में सामान्यत: यह कहा जाता है कि यह व्यवस्था आधारित आपत्ति करनेवाले (conscientious objector) के लिये कोई स्थान नहीं छोड़ती, तथापि मतदान न करने वालों का चरित्र उतना महत्वपूर्ण विषय नहीं है जितना इस बात पर ध्यान देना कि मत प्राप्त करने के लिये किन साधनों का प्रयोग किया जाता है। यदि किसी देश में अनुचित साधनों द्वारा केवल विशिष्ट उद्देश्यों एवं स्वार्थों की पूर्ति के लिये सचेष्ट राजनीतिक संगठन ही मतदाताओं को मतदान में संमिलित होने की प्रेरणा देते हैं, तथा इस प्रकार अपने पक्ष में उनके मत संग्रह करते हैं तो निश्चय ही निर्वाचन तथा मतदान का प्रबंध सरकार के हाथों सौपना अधिक श्रेयस्कर होगा ताकि यह कार्य अधिक उत्तरदायित्व के साथ संपन्न हो सके।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/मतदान" से प्राप्त