"अस्सी घाट": अवतरणों में अंतर

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इसका नामकरण अस्सी नामक प्राचीन नदी (अब अस्सी नाला) के गंगा के साथ संगम के स्थल होने के कारण हुआ है। पौराणिक [[कथा]] है की युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद [[दुर्गा|दुर्गा माता]] ने दुर्गाकुंड के तट पर विश्राम किया था ओर यहीं अपनी असि (तलवार) छोड़ दी थी जिस के गिरने से असी नदी उत्पन्न हुई | असी और गंगा का संगम विशेष रूप से पवित्र माना जाता है | काशी के पांच तीर्थों में से यह एक है |<br />
 
इसके पास ही नानकपंथियों का एक अखाड़ा है ओर समीप ही शिवजी का एक मंदिर है | असी संगम घाट का जिर्णोध्धार कर आधुनिक सजावट एवं पर्यटन के अनुरूप बना दिया गया है। यहाँ पर्यटक सायं काल गंगा आरती का आनंद लेते है। नवीन रास्ता नगवा से होकर सीधे [[लंका, वाराणसी|लंका]] को जोड़ती है। सायं काल यहाँ से सम्पूर्ण काशी के घाटों का अवलोकन किया जा सकता है। विदेशी पर्यटक यहाँ विषेश रूप से इस स्थान को काफी पसन्द करते है,कारण यहाँ का वातावरण काशी के सांसकृत विरासत के साथ सस्ते होटल विद्यमान हैं।वर्तमान में मेरे सहपाठी प्रमोद जी मिश्र का "सुबह ए बनारस" कार्यक्रम से असी घाट में अद्वितिय सुन्दर वातावरण का निर्माण हुआ है। सायं संध्या आरती ऐवं सुबह योगाभ्यास के माध्यम से ऐक मनमोहक वातावरण का निर्माण होता है,साथ आप गंगा आरती का भी आनंद ले सकते हैं ।
 
==सन्दर्भ==