"कौलाचार": अवतरणों में अंतर

आधुनिक परिपेक्ष्य में वीर भाव का स्वरूप
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नाथ पंथ की महत्ता भी सम्मिलित है
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कौलों के आचार-विचार तथा अनुष्ठान प्रकार को '''कौलाचार''' के नाम से जाना जाता है। [[शाक्त]]मत के अनुसार साधनाक्षेत्र में तीन भावों तथा सात आचारों की विशिष्ट स्थिति होती है- पशुभाव, वीरभाव और दिव्यभाव। ये तो तीन भावों के संकेत हैं। वेदाचार, वैष्णवाचार, शैवाचार, दक्षिणचार, वामाचार, सिद्धांताचार और कौलाचार ये पूर्वोल्लिखित भावत्रय से संबद्ध सात आचार हैं। इनमें दिव्यभाव के साधक का संबंध कौलाचार से है एवं, कौलाचारयह कानाथ आधूनिकपंथ रूपसे ग्रामीण भगतावलसंबंधित है, जिसमें बुलाकी कलुवा मसानी शीतला जाहरवीर तेजाजी आदि जैसी लोक शक्तियां सम्मिलित हैं |
 
== परिचय ==