"मानव का पाचक तंत्र": अवतरणों में अंतर

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जीवाणुओं की क्रिया से भी पाचन में सहायता मिलती है। क्षुदांत्र में वे प्रोटीन, वसा तथा स्टार्च आदि का भंजन करते हैं। बृहदांत्र में वे सेलुलोज़ का भी, जिसपर किसी पाचक रस की क्रिया नहीं होती, भंजन कर डालते हैं। इसी से हाइड्रोजन सल्फाइड, मिथेन आदि गैसें उत्पन्न होती हैं तथा वसा के भंजन से वसाम्ल बनते हैं, जिनके कारण मल की क्रिया आम्लिक हो जाती है।
By Abhay singh yadav
 
== आंत्रगति अथवा क्रमाकुंचन (peristalsis) ==