"सामान्य आपेक्षिकता": अवतरणों में अंतर

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'''सामान्य आपेक्षिकता सिद्धांत''' या '''सामान्य सापेक्षता सिद्धांत''', जिसे अंग्रेजी में "जॅनॅरल थिओरी ऑफ़ रॅलॅटिविटि" कहते हैं, एक वैज्ञानिक सिद्धांत है जो कहता है कि [[ब्रह्माण्ड]] में किसी भी वस्तु की तरफ़ जो [[गुरुत्वाकर्षण]] का खिंचाव देखा जाता है उसका असली कारण है कि हर वस्तु अपने मान और आकार के अनुसार अपने इर्द-गिर्द के [[दिक्-काल]] (स्पेस-टाइम) में मरोड़ पैदा कर देती है। बरसों के अध्ययन के बाद जब १९१६ में [[अल्बर्ट आइंस्टीन]] ने इस सिद्धांत की घोषणा की तो विज्ञान की दुनिया में तहलका मच गया और ढाई-सौ साल से क़ायम [[आइज़क न्यूटन]] द्वारा १६८७ में घोषित ब्रह्माण्ड का नज़रिया हमेशा के लिए उलट दिया गया।<ref>{{cite web|title=नोबॅल पुरूस्कार जीवनी (नोबॅल प्राईज़ बायोग्रफ़ी)|url=http://nobelprize.org/nobel_prizes/physics/laureates/1921/einstein-bio.html|work=नोबॅल प्राईज़ बायोग्रफ़ी|publisher=नोबॅल प्राईज़|accessdate=२५ फ़रवरी २०११}}</ref> [[भौतिक शास्त्र]] पर इसका इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि लोग आधुनिक भौतिकी (माडर्न फ़िज़िक्स) को शास्त्रीय भौतिकी (क्लासिकल फ़िज़िक्स) से अलग विषय बताने लगे और अल्बर्ट आइंस्टीन को आधुनिक भौतिकी का पिता माना जाने लगा।
 
आइंस्टीन का "विशेष सापेक्षता का सिद्धांत" सब से पहले साल 19351905 में प्रस्तावित किया गया....
 
== दिक्-काल (स्पेस-टाइम) ==