"ईद उल-फ़ित्र": अवतरणों में अंतर
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==इतिहास==
मुसलमानों का त्यौहार ईद रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाई जाती है। इसलामी साल में दो ईदों में से यह एक है (दूसरा ईद उल जुहा या बकरीद कहलाता है)। पहला ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनाया था।
[https://rekhta.org.in/eid-mubarak-best-shayari-sher-hindi-eid-al-fitr/ ईद उल फित्र] को मनाने का मक्सद ये है कि पूरे महीने अल्लाह के मोमिन बंदे अल्लाह की इबादत करते हैं रोज़ा रखते हैं और क़ुआन करीम '''<big>QURAN</big>''' की तिलावत करके अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं जिसका अज्र या मजदूरी मिलने का दिन ही ईद का दिन कहलाता है जिसे उत्सव के रूप में पूरी दुनिया के मुसलमान बडे हर्ष उल्लास से मनाते हैं
सबसे अहम मक्सद एक और है कि इसमें ग़रीबों को '''<u>फितरा</u>''' देना वाजिब है जिससे वो लोग जो ग़रीब हैं मजबूर हैं अपनी ईद मना सकें नये कपडे पहन सकें और समाज में एक दूसरे के साथ खुशियां बांट सकें फित्रा वाजिब है उनके ऊपर जो 52.50 तोला चाँदी या 7.50 तोला सोने का मालिक हो अपने और अपनी नाबालिग़ औलाद का सद्कये फित्र अदा करे जो कि ईद उल फितर की नमाज़ा से पहले करना होता है।
ईद भाई चारे का आपसी मेल का तयौहार है इसमें एक दूसरे के दिल में प्यार बढाना और नफरत को मिटाना सबसे ज़रूरी है इसी लिए लोग ईद में गले मिलते हैं[[चित्र:Charminar on Eid.JPG|250px|right|अंगूठाकार|बाएँ|ईद के दौरान [[चारमीनार]]]]
उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी। ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैया इस त्योहार की सबसे जरूरी खाद्य पदार्थ है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं।
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