"क़ुरआन": अवतरणों में अंतर

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'''क़ुरआन''' ({{lang-ar|القرآن}}, '''अल-क़ुर्'आन''') [[इस्लाम]] की पवित्रतम किताब है और इसकी नींव है। [[मुसलमान]] मानते हैं कि इसे [[अल्लाह]] ने फ़रिश्ते आला द्वारा हज़रत [[मुहम्मद]] को सुनाया था।<ref name="Britannica">{{cite encyclopedia|last=Nasr |first=Seyyed Hossein | authorlink=Seyyed Hossein Nasr | title=Qurʼān |year=2007| encyclopedia=Encyclopædia Britannica Online | accessdate=2007-11-04|location=|publisher=|url=http://www.britannica.com/eb/article-68890/Quran}}</ref> मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च किताब है। यह ग्रन्थ लगभग 1400 साल पहले अवतरण हुई है।<ref name=Lambert>{{cite book|last1=Lambert|first1=Gray|title=The Leaders Are Coming!|date=2013|publisher=WestBow Press|isbn=9781449760137|page=287|url=https://books.google.com/books?id=sV0mAgAAQBAJ&pg=PA287 }}</ref><ref name="Williams & Drew">{{cite book|author1=Roy H. Williams|author2=Michael R. Drew|title=Pendulum: How Past Generations Shape Our Present and Predict Our Future|date=2012|publisher=Vanguard Press|isbn=9781593157067|page=143|url=https://books.google.com/books?id=mygRHh6p40kC&pg=PA143 }}</ref> हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर द्वारा भेजे गए पवित्र संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत [[आदम]] से हुई थी। हज़रत [[आदम]] इस्लामी (और [[यहूदी]] तथा [[ईसाई]]) मान्यताओं में सबसे पहला [[नबी]] (पैग़म्बर या पयम्बर) था और इसकी तुलना हिन्दू धर्म के [[मनु]] से एक हद तक की जा सकती है। जिस तरह से हिन्दू धर्म में मनु की संतानों को मानव कहा गया है वैसे ही इस्लाम में आदम की संतानों को आदमी कहा जाता है।
 
<ref name=Lambert>{{cite book|last1=Lambert|first1=Gray|title=The Leaders Are Coming!|date=2013|publisher=WestBow Press|isbn=9781449760137|page=287|url=https://books.google.com/books?id=sV0mAgAAQBAJ&pg=PA287 }}</ref><ref name="Williams & Drew">{{cite book|author1=Roy H. Williams|author2=Michael R. Drew|title=Pendulum: How Past Generations Shape Our Present and Predict Our Future|date=2012|publisher=Vanguard Press|isbn=9781593157067|page=143|url=https://books.google.com/books?id=mygRHh6p40kC&pg=PA143 }}</ref> हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर द्वारा भेजे गए पवित्र संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत [[आदम]] से हुई थी। हज़रत [[आदम]] इस्लामी (और [[यहूदी]] तथा [[ईसाई]]) मान्यताओं में सबसे पहला [[नबी]] (पैग़म्बर या पयम्बर) था और इसकी तुलना हिन्दू धर्म के [[मनु]] से एक हद तक की जा सकती है। जिस तरह से हिन्दू धर्म में मनु की संतानों को मानव कहा गया है वैसे ही इस्लाम में आदम की संतानों को आदमी कहा जाता है।
 
[[एकेश्वरवाद|तौहीद]], धार्मिक आदेश (धर्मादेश अथवा फ़रमान), [[स्वर्ग|जन्नत]], [[नरक|जहन्नम]], सब्र, धर्म परायणता (तक्वा) के विषय ऐसे हैं जो बारम्बार दोहराए गए। क़ुरआन ने अपने समय में एक सीधे साधे, नेक व्यापारी इंसान को, जो अपने ‎परिवार में एक भरपूर जीवन गुज़ार रहा था। विश्व की दो महान शक्तियों ‎‎([[रोमन साम्राज्य|रोमन]] तथा [[सासानी साम्राज्य|ईरानी]]) के समक्ष खड़ा कर दिया। केवल यही नहीं ‎उसने रेगिस्तान के अनपढ़ लोगों को ऐसा सभ्य बना दिया कि पूरे विश्व पर ‎इस सभ्यता की छाप से सैकड़ों वर्षों बाद भी इसके निशान पक्के मिलते हैं। ‎क़ुरआन ने युध्द, शांति, राज्य संचालन इबादत, परिवार के वे आदर्श प्रस्तुत ‎किए जिसका मानव समाज में आज प्रभाव है। मुसलमानों के अनुसार कुरआन में दिए गए ज्ञान से ये साबित होता है कि हज़रत मुहम्मद एक इस्लामी पैग़म्बर [[नबी]] है |