"बलदेवराम मिर्धा": अवतरणों में अंतर

रोड़ Ror इतिहास की झलक पुस्तक के आधार पर। राड़ रोड़ का ही बिगड़ा हुआ रुप है। रोड़ समूह रोड़ जाति बहुत लम्बे समय तक सिंध पर राज कर रही थी इसके लिए सिंध इतिहास पुस्तक पढ़ सकते हैं ।
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
2405:205:2329:9AC9:29A:8858:5C7C:E96 (वार्ता) द्वारा किए बदलाव 4236816 को पूर्ववत किया
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
पंक्ति 1:
'''चौधरी बलदेवराम राड़''' (1889-1953), [[राजस्थान]] में नागौर जिले के महान [[जाट]] सेवक, किसानों के रक्षक तथा समाज-सेवी महापुरुष थे। आपने अपने काम के साथ ही अपनी समाज-सेवा, ग्राम-उत्थान ओर शिक्षा प्रसार की योजनानुसार गांव-गांव में घूम-घूम कर किसानों के बच्चों को विद्याध्ययन की प्रेरणा दी। आपने मारवाड़ में छात्रावासों की एक श्रंखला खड़ी कर दी। बलदेव राम राड़ को मिर्धा की उपाधी दी गई थी। राड़ [[ रोड़]] का बिगड़ा हुआ रूप है। विक्रम संवत 1154 में रोड़ से बलदेव राम राड़[[रोड़]] जाट बने हैं।
 
==सन्दर्भ==