"वेदांग": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
शिक्षा को नाक तथा निरुक्त को कान कहा गया है, जो कि पहले उल्टा लिखा था । टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 11:
# '''[[छन्द]]''' - वेदों में प्रयुक्त [[गायत्री]], उष्णिक आदि छन्दों की रचना का ज्ञान [[छन्दशास्त्र]] से होता है। इसे वेद पुरुष का पैर कहा गया है। ये छन्द वेदों के आवरण है। छन्द नियताक्षर वाले होते हैं। इसका उदेश्य वैदिक मन्त्रों के समुचित पाठ की सुरक्षा भी है।
छन्द को वेदों का पाद, कल्प को हाथ, ज्योतिष को नेत्र, निरुक्त को
: ''छन्दः पादौ तु वेदस्य हस्तौ कल्पोऽथ पठ्यते''
|