"भारतीय दण्ड संहिता": अवतरणों में अंतर
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* '''धारा ४५४''' कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करना।
* '''धारा ४५५''' उपहति, हमले या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन
* '''धारा ४५६''' रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन के लिए दण्ड।▼
* '''धारा ४५८''' क्षति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के करके रात में गॄह-अतिचार।▼
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* '''धारा ४६०''' रात्रौ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या रात्रौ गॄह-भेदन में संयुक्ततः सम्पॄक्त समस्त व्यक्ति दंडनीय हैं, जबकि उनमें से एक द्वारा मॄत्यु या घोर उपहति कारित हो▼
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* '''धारा ४६१''' ऐसे पात्र को, जिसमें संपत्ति है, बेईमानी से तोड़कर खोलना▼
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* '''धारा ४६२''' उसी अपराध के लिए दंड, जब कि वह ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया है जिसे अभिरक्षा न्यस्त की गई है।▼
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==अध्याय १८==▼
;दस्तावेज तथा सम्पत्ति-चिह्नों से सम्बन्धित अपराध
* '''धारा ४६३''' कूटरचना
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