"सुहार्तो": अवतरणों में अंतर
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सुहार्तो को उनके सहयोगियों द्वारा 'विकास के पिता' के रूप में जाना जाता था। इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति सुहार्तो को अनेकों लोग एक ऐसा नेता मानते थे, जिन्होंने देश को गरीबी के गर्त से बाहर निकाला और उसे दक्षिण-पूर्व एशिया के सबसे गतिशील अर्थव्यवस्थाओं में शुमार किया। उन्हें जातीय, सांस्कृतिक एवं भौगोलिक रूप से भिन्न आबादी को एक झंडे एवं पहचान के नीचे एकजुट करने का श्रेय भी जाता है।<ref>{{cite web |url= http://www.voanews.com/hindi/2008-01-27-voa2.cfm|title=इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति सुहार्तो नहीं रहे|access-date=[[3 मार्च]] [[2007]]|format=|publisher= वॉयस ऑफ़ अमेरिका|language=}}</ref> उनके कार्यकाल में इंडोनेशिया तेल और गैस के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो गया। उत्पादों और वस्त्र निर्यात पर ज्यादा ध्यान दिया गया।
लेकिन भ्रष्टाचार व खूनखराबे के बीच उनकी वह सफलता कहीं दब गई। उनके विरोधियों का मानना था कि सुहार्तो के शासनकाल के दौरान देश में भ्रष्टाचार को काफी बढ़ावा मिला। लोकतंत्र समर्थकों के तीव्र विरोध के चलते
== अंतिम समय में ==
20 वीं सदी का सबसे अधिक नृशंस और भ्रष्ट शासन चलाने के लिए कुख्यात सुहार्तो पिछले एक दशक से जकार्ता के बाहरी इलाके में एक आलीशान विला में एकांत जीवन बिता रहे थे। मौत के कुछ दिनों पहले इंडोनेशिया में नई सरकार द्वारा सुहार्तो पर लगे आपराधिक मामलों की सुनवाई के प्रसास किए गए थे। पर इस पूर्व राष्ट्रपति के चिकित्सकों और वकीलों ने इनकी बिगड़ती तबीयत का हवाला देकर अदालत में उनकी पेशी को मुश्किल बताया था। 1997-98 के एशियाई वित्तीय संकट के दौरान लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के जरिए सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद उन्हें कई बार दिल की बीमारियों के चलते कई बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इस बार उन्हें चार जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। फेफड़े और गुर्दों के काम करना बंद कर देने के बाद से उन्हें आईसीयू में रखा गया था। पिछले सप्ताह उनके इलाज में लगे डॉक्टरों ने सेहत में सुधार की बात की थी लेकिन रविवार को अचानक से उनकी हालत खराब हो गई।<ref>{{cite web |url=http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/2735026.cms|title= इंडोनेशिया के पूर्व तानाशाह सुहार्तो नहीं रहे |access-date=[[3 मार्च]] [[2007]]|format=सीएमएस|publisher=नवभारत टाइम्स|language=}}</ref>२७ जनवार्य २००८ को इनका देहांत हुआ।
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