"रामधारी सिंह 'दिनकर'": अवतरणों में अंतर

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'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तिय का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।
 
== जीवनी ==
== जीवन परिचय ==
दिनकर का जन्म [[२३ सितंबर]] [[१९०८]] को [[बिहार]] के [[बेगूसराय जिला|बेगूसराय जिले]] के सिमरिया गाँव में हुआ था। उन्होंने [[पटना विश्वविद्यालय]] से [[इतिहास]], [[दर्शनशास्त्र]] और [[राजनीति विज्ञान]] में बीए किया। उन्होंने [[संस्कृत]], [[बांग्ला]], [[अंग्रेजी]] और [[उर्दू]] का गहन अध्ययन किया था। बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक विद्यालय में अध्यापक हो गये। [[१९३४]] से [[१९४७]] तक बिहार सरकार की सेवा में सब-रजिस्टार और प्रचार विभाग के उपनिदेशक पदों पर कार्य किया। [[१९५०]] से [[१९५२]] तक मुजफ्फरपुर कालेज में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे, [[भागलपुर विश्वविद्यालय]] के उपकुलपति के पद पर कार्य किया और उसके बाद भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार बने।