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==टिप्पणी==
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हैदर अली
हैदर अली के नेतृत्व में दक्षिण भारत की राजनीति में मैसूर राज्य की प्रसिद्धि में वृद्धि हुई।
सन् 1761 में वे मैसूर के वास्तविक शासक बन गए थे।
कर्नाटक और हैदराबाद की युद्ध में सफलता, दक्षिण में अंग्रेजों और फ्रांसिसियों का संघर्ष तथा पानीपत के तृतीय युद्ध (1761) में मराठों की हार ने मैसूर में उन्हें अपना सम्राज्य स्थापित करने में मदद की।
हैदर अली सन् 1764 में मराठा पेशवा माधव राव द्वारा पराजित हुए और उन्‍हें सन् 1765 में एक संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।
उन्होंने अपने क्षेत्र का एक हिस्सा उन्हें सौंप दिया और प्रतिवर्ष अठाईस लाख रूपए का भुगतान करने पर भी सहमत हुए।
हैदराबाद के निजाम ने अकेले कार्य नहीं किया बल्कि उन्होंने अंग्रेजों के साथ लीग में कार्य करना पसंद किया जिसके परिणामस्वरूप पहला आंग्ल-मैसूर युद्ध हुआ।
 
==सन्दर्भ==