"अरहर दाल": अवतरणों में अंतर

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'''अरहर''' की दाल को '''तुवरतुअर''' भी कहा जाता है। इसमें [[खनिज]], [[कार्बोहाइड्रेट]], [[लोहा]], [[कैल्शियम]] आदि पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह सुगमता से पचने वाली दाल है, अतः रोगी को भी दी जा सकती है, परंतु गैस, कब्ज एवं साँस के रोगियों को इसका सेवन कम ही करना चाहिए।
 
[[भारत]] में अरहर की खेती तीन हजार वर्ष पूर्व से होती आ रही है किन्तु भारत के जंगलों में इसके पौधे नहीं पाये जाते है। अफ्रीका के जंगलों में इसके जंगली पौधे पाये जाते है। इस आधार पर इसका उत्पत्ति स्थल [[अफ्रीका]] को माना