"भोपाल गैस काण्ड": अवतरणों में अंतर

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इस गैस काण्ड में [[भोपाल]] का कुशवाहा परिवार बिना किसी हानि के बच गया। <ref>http://postcard.news/entire-city-dying-bhopal-gas-tragedy-saved-one-family-god-read-know/</ref> क्योंकि उस परिवार में प्रतिदिन [[अग्निहोत्र|अग्रिहोत्र]] किया जाता था और उस दिन भी किया जा रहा था।<ref>https://books.google.co.in/books?id=ZD8DCgAAQBAJ&pg=PT78&dq=bhopal+gas+tragedy+agnihotra&hl=sa&sa=X&ved=0ahUKEwjlnpj3oYjVAhUGMY8KHVXCC4gQ6AEIKzAC#v=onepage&q=bhopal%20gas%20tragedy%20agnihotra&f=false</ref> अग्निहोत्र एक प्रकार का यज्ञ होता है, जो आदिकाल से [[भारतीय संस्कृति]] का अंग रहा है। यज्ञ को [[वातावरण]] में [[प्रदूषण]] के समाधान के लिये वैज्ञानिक उपकरण माना जाता है।<ref>http://www.madhavashramindia.in/bgt.htm</ref> यद्यपी यज्ञ कॊ वातावरण [प्रदुषणकॆ] लियॆ समाधान माना जाता है पर ईस बात कॆ कॊई अधिकारिक वैज्ञानिक प्रमाण ऊपलब्ध नही है।
 
== पूर्वपूर्ण-घटना चरण ==
24 साल पहले भोपाल में दुनिया की सबसे भीषण औधोगिक त्रासदी हुई भोपाल में यूनियन कार्बाइड नामक अमेरिकी कंपनी (जिस के चेयरमैन एंडरसन थे) का कारखाना था जिसमें कीटनाशक बनाए जाते थे 2 दिसंबर 1984 को रात मेंं 2:00 बजे कार्बाइड के इसी संयंत्र में मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस रिसने लगी और इसी के साथ लगभग उसी रात को 10000 लोग जो अपनी नींद में थे अगली सुबह नहीं उठे , यह बेहद ही जहरीली गैस होती है ।
सन १९६९ में यू.सी.आइ.एल.कारखाने का निर्माण हुआ जहाँ पर मिथाइलआइसोसाइनाइट नामक पदार्थ से कीटनाशक बनाने की प्रक्रिया आरम्भ हुई। सन १९७९ में मिथाइल आइसोसाइनाइट (MIC) के उत्पादन के लिये नया कारखाना खोला गया।
 
जहरीली गैस के संपर्क में आने वाले ज्यादातर लोग गरीब कामकाजी परिवार के लोग थे उनमें से लगभग 50,000 लोग आज भी इतने बीमार हैं कि कुछ काम ही नहीं कर सकते जो लोग इस गैस के असर में आने के बावजूद जिंदा रह गए उनमें से बहुत सारे लोग गंभीर स्वास विकारों ,आंखों की बीमारियों और अन्य समस्याओं से पीड़ित है बच्चों में अजीबोगरीब विकृतियां पैदा हो रही है
 
जैसा कि सभी लोग उपरोक्त पैराग्राफ को पढ़कर यह समाज रहे होंगे कि भोपाल गैस त्रासदी एक त्रासदी मास मात्र थी बरन यह मानवीय क्रियाओं की एक भूल थी यूनियन कार्बाइड ने पैैैैसे बचाने के लिए सुरक्षा उपायों को जानबूझकर नजरअंदाज किया था 2 दिसंबर की त्रासदी से पहले भी कारखाने में गैस का रिसाव हो चुका था इन घटनाओं में एक मजदूर की मौत हो गई थी जबकि बहुत सारे घायल हुए थे
 
यूनियन कार्बाइड ने कारखाना तो बंद कर दिया लेकिन भारी मात्रा में विषैले रसायन वहीं छोड़ दिए यह रसायन रिस रिस कर जमीन में जा रहे हैं जिससे वहां का पानी दूषित हो रहा है अब यह संयंत्र डाओ केमिकल नामक कंपनी के कब्जे में है जो इसकी साफ-सफाई का जिम्मा उठाने को तैयार नहीं है
 
 
 
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== कारकों का योगदान ==
नवम्बर १९८४ तक कारखाना के कई सुरक्षा उपकरण न तो ठीक हालात में थे और न ही सुरक्षा के अन्य मानकों का पालन किया गया था। स्थानीय समाचार पत्रों के पत्रकारों की रिपोर्टों के अनुसार कारखाने में सुरक्षा के लिए रखे गये सारे मैनुअल अंग्रेज़ी में थे जबकि कारखाने में कार्य करने वाले ज़्यादातर कर्मचारी को अंग्रेज़ी का बिलकुल ज्ञान नहीं था। साथ ही, पाइप की सफाई करने वाले हवा के वेन्ट ने भी काम करना बन्द कर दिया था। समस्या यह थी कि टैंक संख्या ६१० में नियमित रूप से ज़्यादा एमआईसी गैस भरी थी तथा गैस का तापमान भी निर्धारित ४.५ डिग्री की जगह २० डिग्री था। मिक को कूलिंग स्तर पर रखने के लिए बनाया गया फ्रीजिंग प्लांट भी पॉवर का बिल कम करने के लिए बंद कर दिया गया था।