"भोपाल गैस काण्ड": अवतरणों में अंतर

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जैसा कि सभी लोग उपरोक्त पैराग्राफ को पढ़कर यह समाज रहे होंगे कि भोपाल गैस त्रासदी एक त्रासदी मास मात्र थी बरन यह मानवीय क्रियाओं की एक भूल थी यूनियन कार्बाइड ने पैैैैसे बचाने के लिए सुरक्षा उपायों को जानबूझकर नजरअंदाज किया था 2 दिसंबर की त्रासदी से पहले भी कारखाने में गैस का रिसाव हो चुका था इन घटनाओं में एक मजदूर की मौत हो गई थी जबकि बहुत सारे घायल हुए थे
 
यूनियन कार्बाइड ने कारखाना तो बंद कर दिया लेकिन भारी मात्रा में विषैले रसायन वहीं छोड़ दिए यह रसायन रिस रिस कर जमीन में जा रहे हैं जिससे वहां का पानी दूषित हो रहा है अब यह संयंत्र डाओ केमिकल नामक कंपनी के कब्जे में है जो इसकी साफ-सफाई का जिम्मा उठाने को तैयार नहीं है
 
'''note''' इस समय मध्य प्रदेश केेे मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह थे
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और भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे
== कारकों का योगदान ==
नवम्बर १९८४ तक कारखाना के कई सुरक्षा उपकरण न तो ठीक हालात में थे और न ही सुरक्षा के अन्य मानकों का पालन किया गया था। स्थानीय समाचार पत्रों के पत्रकारों की रिपोर्टों के अनुसार कारखाने में सुरक्षा के लिए रखे गये सारे मैनुअल अंग्रेज़ी में थे जबकि कारखाने में कार्य करने वाले ज़्यादातर कर्मचारी को अंग्रेज़ी का बिलकुल ज्ञान नहीं था। साथ ही, पाइप की सफाई करने वाले हवा के वेन्ट ने भी काम करना बन्द कर दिया था। समस्या यह थी कि टैंक संख्या ६१० में नियमित रूप से ज़्यादा एमआईसी गैस भरी थी तथा गैस का तापमान भी निर्धारित ४.५ डिग्री की जगह २० डिग्री था। मिक को कूलिंग स्तर पर रखने के लिए बनाया गया फ्रीजिंग प्लांट भी पॉवर का बिल कम करने के लिए बंद कर दिया गया था।