"राजा मान सिंह": अवतरणों में अंतर

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| title = [[Raja]]आमेर ofके [[Amer, India|Amerराजा]]
| image = राजाRaja मानसिंहMan Singh.jpg
| alt = राजा मान सिंह प्रथम
|caption = आमेर के राजा मान सिंह प्रथम
| birth_date = 21 दिसंबर 1550
| birth_place = [[आमेर, भारत|आमेर]], [[राजस्थान]], [[मुगल साम्राज्य]]
| death_date = {{death date and age|1614|7|6|1550|12|21|df=y}}
| death_place = [[Ellichpurअचलपुर]], [[मुगल साम्राज्य]]
| spouse = {{plainlist|
* सुशीलावती बाई (1566–1662)
* Munwariमुनवारी Baiबाई (1556–1640)
* Bibiबीबी Mubarakमुबारक (1564–1638)
}}
| issue = {{plainlist|
* राजा भाऊ सिंह (1580-1621)
* Raja Bhau Singh (1580–1621)
* कुंवर जगत सिंह (1586-1620)
* Kunwar Jagat Singh (1586–1620)
* कुंवर दुर्जन सिंह (1575-1597)
* Kunwar Durjan Singh (1575–1597)
* कुंवर हिम्मत सिंह (1590-1597)
* Kunwar Himmat Singh (1590–1597)
* भोगदा सिंह (1596-1610)
* Bhogda Singh (1596–1610)
* राज कुवरी मैना बाईसा (1591-1682)
* Raj Kuwri Mena Baisa (1591–1682)
* मनोरमा बाई (1614-1689)
* Manorama Bai (1614–1689)
}}
| father = [[भगवानदास]]
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}}
 
'''राजा मान सिंह''' [[आमेर]] (आम्बेर) के कच्छवाहा [[राजपूत]] राजा थे। उन्हें 'मान सिंह प्रथम' के नाम से भी जाना जाता है। राजा भगवन्त दास इनके पिता थे।
'''राजा मान सिंह''' ('''Raja Man Singh I''') (21 दिसंबर 1550 &ndash; 6 जुलाई 1614) was the [[kachwaha]] [[Rajput]] [[Raja]] of [[Amer, India|Amer]], a state later known as [[Jaipur]] in [[Rajputana]]. He was a trusted general of the [[Mughal Empire|Mughal]] emperor [[Akbar]], who included him among the [[Navaratnas]], or the nine (nava) gems (ratna) of the royal court.<ref>[http://persian.packhum.org/persian/main?url=pf%3Ffile%3D00702051%26ct%3D237%26rqs%3D302%26rqs%3D309%26rqs%3D310 30. Ra´jah Ma´n Singh, son of Bhagwán Dás - Biography] [[Ain-i-Akbari]], Vol. I.</ref><ref>[http://www.mapsofindia.com/who-is-who/history/raja-man-singh.html Raja Man Singh Biography] India's who's who, www.mapsofindia.com.</ref>
 
वह [[अकबर]] की सेना के प्रधान [[सेनापति]] थे। उन्होने [[आमेर दुर्ग|आमेर के मुख्य महल]] के निर्माण कराया।
 
महान इतिहासकार कर्नल [[जेम्स टॉड]] ने लिखा है- " [[भगवान दास]] के उत्तराधिकारी मानसिंह को अकबर के दरबार में श्रेष्ठ स्थान मिला था।..मानसिंह ने उडीसा और आसाम को जीत कर उनको बादशाह अकबर के अधीन बना दिया. राजा मानसिंह से भयभीत हो कर काबुल को भी अकबर की अधीनता स्वीकार करनी पडी थी। अपने इन कार्यों के फलस्वरूप मानसिंह बंगाल, बिहार, दक्षिण और काबुल का शासक नियुक्त हुआ था।"<ref>[http://persian.packhum.org/persian/main?url=pf%3Ffile%3D00702051%26ct%3D237%26rqs%3D302%26rqs%3D309%26rqs%3D310 30. Ra´jah Ma´n Singh, son of Bhagwán Dás - Biography] [[Ain-i-Akbari]], Vol. I.</ref><ref>[http://www.mapsofindia.com/who-is-who/history/raja-man-singh.html Raja Man Singh Biography] India's who's who, www.mapsofindia.com.</ref><ref>1.राजस्थान का इतिहास : कर्नल जेम्स टॉड, साहित्यागार प्रकाशन, जयपुर</ref>
 
 
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== मानसिंह काल में आमेर की उन्नति ==
[[चित्र:AMER Palace.jpg|thumb|[[आमेर दुर्ग|आमेर का महल]]]]
''राजा भगवानदास'' की मृत्यु हो जाने पर (उनका दत्तक पुत्र) राजा मानसिंह जयपुर के सिंहासन पर बैठा. कर्नल [[जेम्स टॉड]] ने लिखा है- "''मानसिंह के शासनकाल में आमेर राज्य ने बड़ी उन्नति की.की। मुग़ल दरबार में सम्मानित हो कर मानसिंह ने अपने राज्य का विस्तार किया उसने अनेक राज्यों पर आक्रमण कर के जो अपरिमित संपत्ति लूटी थी, उसके द्वारा आमेर राज्य को शक्तिशाली बना दिया.दिया। ''धौलाराय'' के बाद आमेर, जो एक मामूली राज्य समझा जाता था, मानसिंह के समय वही एक शक्तिशाली और विस्तृत राज्य हो गया था। भारतवर्ष के इतिहास में कछवाहों (अथवा कुशवाहों) को शूरवीर नहीं माना गया पर राजा ''भगवान दास'' और मानसिंह के समय कछवाहा लोगों ने खुतन से समुद्र तक अपने बल, पराक्रम और वैभव की प्रतिष्ठा की थी। मानसिंह यों अकबर की अधीनता में ज़रूर था, पर उसके साथ काम करने वाली राजपूत सेना, बादशाह की सेना से कहीं अधिक शक्तिशाली समझी जाती थी"।''<ref>5.'''राजस्थान का इतिहास''' : कर्नल [[जेम्स टॉड]], साहित्यागार प्रकाशन, जयपुर</ref>
 
कर्नल [[जेम्स टॉड]] की इस बात से दूसरे कुछ इतिहासकार सहमत नहीं. उनका कथन है ''मानसिंह भगवान दास का गोद लिया पुत्र नहीं था, बल्कि वह तो भगवंत दास का लड़का था। भगवानदास और भगवंत दास दोनों भाई थे।''<ref>6.'''राजस्थान का इतिहास''' : कर्नल [[जेम्स टॉड]], साहित्यागार प्रकाशन, जयपुर</ref>
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== निधन ==
"मुस्लिम इतिहासकारों ने लिखा है "हिजरी १०२४ सन १६१५ ईस्वी में मानसिंह की बंगाल में मृत्यु हुई", परन्तु दूसरे इतिहासकारों के विवरण से पता चलता है कि मानसिंह उत्तर की तरफ खिलजी बादशाह से युद्ध करने गया था जहाँ वह सन १६१७ ईस्वी में मारा गया।... मानसिंह के देहांत के बाद उसका बेटा भावसिंह गद्दी पर बैठा.बैठा।"<ref>8.'''राजस्थान का इतिहास''' : कर्नल [[जेम्स टॉड]], साहित्यागार प्रकाशन, जयपुर</ref>
== सन्दर्भ ==
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