"नाट्य शास्त्र": अवतरणों में अंतर

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वस्तुतः यह ग्रन्थ नाट्यसंविधान तथा रससिद्धान्त की मौलिक संहिता है। इसकी मान्यता इतनी अधिक है कि इसके वाक्य 'भरतसूत्र' कहे जाते हैं। सदियों से इसे आर्ष सम्मान प्राप्त है। इस ग्रंथ में मूलत: १२,००० पद्य तथा कुछ गद्यांश भी था, इसी कारण इसे 'द्वादशसाहस्री संहिता' कहा जाता है। परन्तु कालक्रमानुसार इसका संक्षिप्त संस्करण प्रचलित हो चला जिसका आयाम छह हजार पद्यों का रहा और यह संक्षिप्त संहिता 'षटसाहस्री' कहलाई। भरतमुनि उभय संहिता के प्रणेता माने जाते हैं और प्राचीन टीकाकारों द्वारा उनका 'द्वादश साहस्रीकार' तथा 'षट्साहस्रीकार' की उपाधि से परामर्श यत्र तत्र किया गया है। जिस तरह आज उपलब्ध [[चाणक्य नीति]] का आधार वृद्ध [[चाणक्य]] और [[स्मृति]]यों का आधार क्रमशः वृद्ध [[वसिष्ठ]], वृद्ध [[मनु]] आदि माना जाता है, उसी तरह वृद्ध भरत का भी उल्लेख मिलता है। इसका यह तात्पर्य नहीं कि वसिष्ठ, मनु, चाणक्य, भरत आदि दो दो व्यक्ति हो गए, परन्तु इस सन्दर्भ में 'वृद्ध' का तात्पर्य परिपूर्ण संहिताकार से है।
 
{{class='wikitable
; ३७ अध्याय
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*! अध्याय !! --अध्याय का नाट्यनाम
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* अध्याय २ -- नाट्यमण्डप
*| अध्याय -- रङ्गपूजा|| नाट्य
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* अध्याय ४ -- ताण्डव
*| अध्याय --|| पूर्वरङ्गनाट्यमण्डप
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* अध्याय ६ -- रस
*| अध्याय --|| रङ्गपूजा भाव
|-
* अध्याय ८ -- उपाङ्ग
*| अध्याय --|| अङ्गताण्डव
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* अध्याय १० -- चारीविधान
*| अध्याय ११ --|| मण्डलविधानपूर्वरङ्ग
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* अध्याय १२ -- गतिप्रचार
*| अध्याय १३ --|| करयुक्तिधर्मीव्यञ्जकरस
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* अध्याय १४ -- छन्दोविधान
*| अध्याय १५ --|| छन्दोविचितिःभाव
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* अध्याय १६ -- काव्यलक्षण
*| अध्याय १७ --|| काकुस्वरव्यञ्जनउपाङ्ग
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* अध्याय १८ -- दशरूपनिरूपण
*| अध्याय १९ --|| सन्धिनिरूपणअङ्ग
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* अध्याय २० -- वृत्तिविकल्पन
*| अध्याय २११० --|| आहार्याभिनयचारीविधान
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* अध्याय २२ -- सामान्याभिनय
*| अध्याय २३११ --|| नेपथ्यमण्डलविधान
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* अध्याय २४ -- पुंस्त्र्युपचार
*| अध्याय २५१२ --|| चित्राभिनयगतिप्रचार
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* अध्याय २६ -- विकृतिविकल्प
*| अध्याय २७१३ --|| सिद्धिव्यञ्जककरयुक्तिधर्मीव्यञ्जक
|-
* अध्याय २८ -- जातिविकल्‍प
*| अध्याय २९१४ --|| ततातोद्यविधानछन्दोविधान
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* अध्याय ३० -- सुषिरातोद्यलक्षण
*| अध्याय ३११५ --|| तालछन्दोविचितिः
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* अध्याय ३२ --
*| अध्याय ३३१६ --|| गुणदोषविचारकाव्यलक्षण
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* अध्याय ३४ -- प्रकृति
*| अध्याय ३५१७ --|| भूमिकाविकल्पकाकुस्वरव्यञ्जन
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* अध्याय ३६ -- नाट्यशाप
*| अध्याय ३७१८ --|| गुह्यतत्त्वकथनदशरूपनिरूपण
|-
| अध्याय १९ || सन्धिनिरूपण
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*| अध्याय २० --|| वृत्तिविकल्पन
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| अध्याय २१ || आहार्याभिनय
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*| अध्याय २२ --|| सामान्याभिनय
|-
*| अध्याय २३ --|| ताण्डवनेपथ्य
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*| अध्याय २४ --|| पुंस्त्र्युपचार
|-
| अध्याय २५ || चित्राभिनय
|-
*| अध्याय २६ --|| विकृतिविकल्प
|-
| अध्याय २७ || सिद्धिव्यञ्जक
|-
*| अध्याय २८ --|| जातिविकल्‍प
|-
| अध्याय २९ || ततातोद्यविधान
|-
*| अध्याय ३० --|| सुषिरातोद्यलक्षण
|-
*| अध्याय ३१ --|| रसताल
|-
; ३७| अध्याय ३२ ||
|-
| अध्याय ३३ || गुणदोषविचार
|-
*| अध्याय ३४ --|| उपाङ्गप्रकृति
|-
| अध्याय ३५ || भूमिकाविकल्प
|-
*| अध्याय ३६ --|| नाट्यशाप
|-
| अध्याय ३७ || गुह्यतत्त्वकथन
|}
 
==टीकाएँ==