"ठाकुर वंश": अवतरणों में अंतर

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[[ru:Семья Тагоров]]
{{टैगोर परिवार}}
'''ठाकुर परिवार'''<ref> सही शब्द है ''ঠাকুর'' </ref><ref>[https://www.thedailystar.net/news/from-thakur-to-tagore From Thakur to Tagore, Syed Ashraf Ali, The Star May 04, 2013]</ref><ref>Deb, Chitra, pp 64-65"</ref> [[बंगालजिसका काइतिहास तीन सौ वर्ष से भी पुराना है<ref>Deb, Chitra, pp 64–65.</ref> नवजागरण|बंगाली नवजागरण]] के समय से ही [[कलकत्ता]] के प्रमुख परिवारों में से एक रहा है।<ref>Deb, Chitra, pp 64-65</ref> इस परिवार में कई ऐसे महापुरुषों का जन्म हुआ जिन्होंने कला, साहित्य, समाज सुधार आदि के कार्यों में अभूतपूर्व योगदान दिया है।<ref>Deb, Chitra, pp 64-65"</ref><ref>{{cite web
| url =http://www.rabindrabharatiuniversity.net/museum/tagore_family/tagore_society.htm
| title = The Tagores and Society
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| publisher = Rabindra Baharati University
}}</ref>
 
==परिवार का इतिहास==
ठाकुर परिवार का इतिहास तीन सौ वर्ष से भी पुराना है।<ref>Deb, Chitra, pp 64–65.</ref>
ठाकुरों का असली उपनाम था कुशारी। वे ररही ब्राह्मण थे और पश्चिम बंगाल के बुर्दवान जिले के कुशल गाँव के निवासी थे। [[रविन्द्रनाथ ठाकुर]] के जीवनी लेखक '''प्रभात कुमार मुखर्जी''' ने अपनी पुस्तक '''रवीन्द्रजीबनी ओ रवीन्द्र साहित्य प्रबेषिका''' में लिखा है कि:-
<blockquote>
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:;अर्थात्
कुशारी [[भट्टनारायण]] के पुत्र दीन कुशारी के वंशज थे। महाराज क्षितिसुर ने दीन को बुर्दवान जिले का कुश गाँव दान में दिया था; वो वहाँ का सरदार बन गया और इसी कारण '''कुशारी''' कहलाया गया।<ref>https://ia801600.us.archive.org/BookReader/BookReaderImages.php?zip=/5/items/in.ernet.dli.2015.339410/2015.339410.Rabindrajibani-O_jp2.zip&file=2015.339410.Rabindrajibani-O_jp2/2015.339410.Rabindrajibani-O_0041.jp2&scale=13.50599520383693&rotate=0</ref>
 
==ठाकुरों की पृष्ठभूमि==
[[ठाकुर]] [[बंगाली]] [[ब्राह्मण]] हैं।<ref>Tagore, Rathindranath (December 1978). On the edges of time (New ed.). Greenwood Press. p. 2. ISBN 978-0313207600.</ref><ref>Mukherjee, Mani Shankar (May 2010). "Timeless Genius". Pravasi Bharatiya: 89, 90.</ref><ref>Banerjee, Hiranmay (1995). Tagores of Jorasanko. Gyan Publishing House.</ref><ref>RoyChowdhury, Sumitra (1982). The Gurudev and the Mahatma. Subhada-Saraswata Publications. p. 29.</ref><ref>Aruna Chakravarti, [[सुनील गंगोपाध्याय|Sunil Gangopadhyaya]]. Those Days. pp. 97–98. ISBN 9780140268522.</ref><ref>Thompson, Edward (1948). Rabindranath Tagore : Poet And Dramatist. Oxford University Press. p. 13.</ref><ref>Rabindranath tagore A Centenary Volume 1861–1961. Sahitya Academy. ISBN 81-7201-332-9.</ref>पुराना नाम कुशारी या तो उन्हें उसी नाम के गाँव से या '''शाण्डिल्य''' गोत्र के बंधोपाध्याय से मिला है जो 18वीं सदी में बंगाल के पूर्वी भाग (अब [[बांग्लादेश]]) से आए थे और हुगलीहुग्ली नदी के बाएँ तट पर (रार्ह में) बस गए। (पहला व्यक्ति पंचानन कुशारी 1720 में गोविंदपुर इलाके में बस गया था और ब्रिटिश के कब्जा कर लेने पर जोरासांको चला गया जो कि सुल्तानी के दक्षिण में था।)
 
[[चित्रा देव]] ने [[बंगाल का नवजागरण|बंगाल के नवजागरण]] में ठाकुर वंश के सहयोग के विषय में लिखा है:-
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== संदर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
==इन्हें भी देखें==
*[[रवीन्द्र नाथ ठाकुर]]