"ब्रह्म": अवतरणों में अंतर
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==परब्रह्म==
परब्रह्म या परम-ब्रह्म ब्रह्म का वो रूप है, जो निर्गुण और असीम है। "नेति-नेति" करके इसके गुणों का खण्डन किया गया है, पर ये असल में अनन्त सत्य, अनन्त चित और अनन्त आनन्द है। [[अद्वैत वेदान्त]] में उसे ही [[परमात्मा]] कहा गया है,
'''ब्रह्म सत्यम जगन मिथ्या,जिवो ब्रम्हैव ना परः''▼
वह ब्रह्म ही जगत का नियन्ता है। यही सत् , चित् और आनंद है, अर्थात् - "सच्चिदानंद" है।
==अपरब्रह्म==
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