"नायक": अवतरणों में अंतर
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नायक शब्द का अर्थ
सम्मान पुर्ण शब्द है जैसे त्रिदेवों में जगत पालक भगवान विष्णु जी को नायक कहते हैं
देवो में इन्द्र देव को नायक कहते हैं शिव गणों गणेश जी को गण नायक मतलब गणों के नायक कहते हैं
देश दुनिया पर शासन करने वाले महान वयक्त्ति को
नायक कहते हैं समाज के मुखिया को नायक कहते हैं
समाजिक जागृति लाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे ।
महान वयक्त्ति को नायक कहतेहैं ।
सेना के संचालन करने वाले । सेना पति को नायक कहते थे ।
आज भी सेना में लैश नायक और नायक के पद हैं
कला कौशल बहादुरी समाजिक अथवा राजनीती में
सर्वप्रिय रहे हो उन्हे नायक महा नायक जन नायक लोक नायक शब्दों के संबोधन से सम्मानित किया जाता है । यदि कोई समाज समाज नायक नाम् ही जाना जाए तो उस समाज मे शिक्षा संस्कार शुद्ध आचरण
उत्तम विचार और वीर बहादुर होना भी बहुत जरूरी है
इन सभी गुणों को सम्भाले रखना और भी जरूरी है अन्यथा वो समाज केवल नाम का नायक रह जाता है नायकत्व के सभी गुण धीरे धीरे लुप्त ( समाप्त ) हो जाते हैं ।
नायक समाज दो श्रेणियों में त्रेता युग बटा है ।
श्रेष्ठ नायक। निम्न नायक
नायक वंशज नायक मछुआ निषाद वंशज नायक
एक ही नाम से जान गए दोनों समाजों भिन्न विवरण
आगे दिया जा रहा अतः सारा व्रतांत पढ कर ही निर्णय ले की आप कहा शिथिर होना चाहेंगे ।
== इन्हें भी देखें ==
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